पटना, 16 अप्रैल (Udaipur Kiran) । निगरानी से जुड़े मामलों का निपटारा पिछले वर्ष लागू किए गए नए कानून के अंतर्गत 2 से 3 वर्ष में पूरा करने पर सभी पदाधिकारी फोकस करें। ये बातें निगरानी विभाग के अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने मुख्य सचिवालय स्थित अधिवेशन भवन में आयोजित कार्यशाला को संबोधित करने के दौरान आज कही।
एसीएस चौधरी ने कहा कि सभी जिलों में मौजूद निगरानी कोषांग भ्रष्ट पदाधिकारियों की पहचना करें। इनकी अवैध संपत्ति की जांच कर निगरानी को कार्रवाई के लिए पहल करें। सभी सरकारी कार्यों का निष्पादन स्वच्छ तरीके से जिला स्तर पर हो, इसके लिए निगरानी कोषांग पूरी मुस्तैदी से मॉनीटरिंग करे। सरकारी कार्यालयों में दलालों और बिचौलियों के खिलाफ कार्रवाई करें। ताकि आम लोगों को योजनाओं का लाभ लेने में किसी तरह की समस्य नहीं आए।
इस मौके पर अधिकारियों ने पीपीटी प्रस्तुतिकरण के माध्यम से निगरानी से जुड़ी कार्रवाई और भ्रष्टाचार से संबंधित स्थिति और इस पर कार्रवाई की पूरी विस्तृत जानकारी अधिकारियों ने दी। अधिकारियों और कानून के जानकारों ने भ्रष्टाचार निवारण कानून और इसके प्रभावी क्रियान्वयन से संबंधित जानकारी दी। समीक्षा के दौरान यह बात सामने आई कि कुछ जिलों मसलन भागलपुर, खगड़िया, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, रोहतास, अरवल और पूर्णिया में यह हेल्पलाइन नंबर कार्यरत नहीं है। इसका कारण उन्होंने संबंधित पदाधिकारियों से पूछा और इसे जल्द चालू करने के लिए संबंधित जिलों के डीएम से मिलकर क्रियान्वित करने को कहा। सभी जिलों में मौजूद निगरानी कोषांग के पदाधिकारियों को नियमित बैठक करके मामलों की समीक्षा करने को कहा। जिन मामलों में आरोप-पत्र लंबित हैं, उन्हें जल्द दायर करें।
उन्होंने सभी जिलों को तैयार ऑनलाइन पोर्टल पर परिवाद को दर्ज करने और इसका जवाब भी इसी पर देने आदेश दिया।
जिलों में त्रिशक्ति के तौर पर काम करें निगरानी कोषांग
इस कार्यशाला को निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के महानिदेशक जितेंद्र सिंह गंगवार ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर निगरानी कोषांग में मौजूद तीनों पदाधिकारी पुलिस पदाधिकारी, मैजिस्ट्रेट और इंजीनियर भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने में मिलकर त्रिशक्ति की तरह काम करें।
इस मौके पर विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) के अपर मुख्य सचिव (एडीजी) पंकज कुमार दाराद ने कहा कि नए कानून में दर्ज प्रावधानों के अनुसार ही भ्रष्ट पदाधिकारियों पर कार्रवाई करें। किसी भी छापेमारी, ट्रैप या अन्य कार्रवाई का डिजिटल साक्ष्य रखें। इसके लिए आधुनिक एवं खुफिया कैमरे समेत अन्य उपकरणों का उपयोग करें।
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(Udaipur Kiran) / गोविंद चौधरी
