कठुआ, 16 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । पंज दिन पंज रंग डोगरा संस्कृति संघ थीम पर आधारित पांच दिवसीय डोगरा महोत्सव समारोह के तीसरे दिन बुधवार को डोगरी खोइयां पर आधारित एक प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें पांच-पांच छात्रों की दो टीमों ने भाग लिया।
इस कार्यक्रम के दौरान दोनों टीमों से विभिन्न डोगरी खोइयां पूछी गईं और उन्हें उदाहरणों के साथ अपना पूरा स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया। पूरा कार्यक्रम प्रिंसिपल प्रोफेसर अनुपमा गुप्ता के सर्वोच्च संरक्षण और डोगरी विभागाध्यक्ष डॉ. शालू रानी के सहयोग से पांच दिवसीय डोगरा महोत्सव समारोह के संयोजक प्रोफेसर संदीप चौधरी की समग्र देखरेख में आयोजित किया गया। प्रिंसिपल प्रोफेसर अनुपमा गुप्ता ने अपने संबोधन में आशीर्वाद देते हुए अपने दादा-दादी के साथ कई यादगार पलों का भी जिक्र किया, जिन्हें भी इस तरह के डोगरी खोइयां का उपयोग करने की आदत थी। उन्होंने छात्रों को अपने जीवन में डोगरी भाषा और डोगरा परंपराओं को अपनाकर अपनी जड़ों से जुड़े रहने के लिए प्रोत्साहित किया। उपर्युक्त कार्यक्रम इतने प्रभावशाली ढंग से आयोजित किया गया था कि वहां उपस्थित सभी संकाय सदस्यों और छात्रों ने इस आयोजन के पीछे की पूरी टीम के प्रयासों की सराहना की। इस घटना ने उन्हें अपनी पुरानी यादें ताजा कर दीं, जब वे अपने दादा-दादी से ऐसी खोइयां सुना करते थे। ऐसे कार्य तथाकथित आधुनिक समाज से पूरी तरह से विलुप्त हो गए हैं जो हम सभी को अपनी मूल जड़ों यानी डोगरा संस्कृति और परंपराओं से अलग रहने के लिए मजबूर कर रहे हैं। रंगारंग और उद्देश्यपूर्ण कार्यक्रम को देखने के लिए वहां मौजूद अन्य संकाय सदस्यों में प्रोफेसर अरुण देव सिंह, प्रोफेसर अनूप शर्मा, डॉ. बलबिंदर सिंह, प्रोफेसर मनु सैनी, प्रोफेसर सुमन, डॉ. मीनू शर्मा और प्रोफेसर नरेश कुमार शामिल थे।
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(Udaipur Kiran) / सचिन खजूरिया