-दस्तावेजों में हेरफेर कर ग्रामीण की जमीन कब्जाने का मामला
प्रयागराज, 11 सितम्बर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दस्तावेजों में हेरफेर कर एक किसान की जमीन पर 32 साल से कब्जा करने के मामले में राज्य सरकार और कैथोलिक डायोसीज ऑफ गोरखपुर के अध्यक्ष पर 10 लाख रुपये का हर्जाना लगाया है।
इस दौरान कोर्ट ने कहा “आसमान गिरने पर भी न्याय किया जाएगा।“ इस कहावत का जिक्र करते हुए कहा कि यह कहावत इस विश्वास को दर्शाती है कि परिणामों की परवाह किए बिना न्याय दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि राज्य और अपीलकर्ता संस्था ने एक साथ मिलकर वादी की भूमि पर कब्जा किया। जिला और सचिवालय स्तर पर पूरी राज्य मशीनरी की मदद से एक के बाद एक दस्तावेजों में हेराफेरी करके वादी और उसके कानूनी उत्तराधिकारियों को उनकी अचल सम्पत्ति के उपयोग से वंचित कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि ऐसे में 32 साल बाद यह न्यायालय राज्य व कैथोलिक डायोसीज पर हर्जाना लगाना उचित समझता है। न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की कोर्ट ने अध्यक्ष कैथोलिक डायोसीज ऑफ गोरखपुर की ओर दाखिल अपील खारिज करते हुए यह आदेश दिया।
गोरखपुर के गांव जंगल सालिकराम में भूखंड संख्या 26 रकबा 93 डिसमिल पर वादी भोला भूमिधर था। कैथोलिक डायोसीज ऑफ गोरखपुर की ओर से इस जमीन पर राज्य सरकार से पट्टा प्राप्त करने का दावा करते हुए चहारदीवारी बनाई जाने लगी। इसके विरोध में वादी भोला ने सिविल वाद दाखिल कर दिया। ट्रायल कोर्ट से राहत न मिलने पर भोला ने प्रथम अपील दाखिल की। कोर्ट ने अपील स्वीकार करते हुए दर्शाई गई भूमि पर चारदीवारी को हटाने का निर्देश दिया। साथ ही कहा कि वादी के कब्जे में कोई हस्तक्षेप न करें। इसके साथ ही उप रजिस्ट्रार-प्रथम, गोरखपुर के समक्ष 13 जनवरी 1993 को पंजीकृत पट्टा विलेख शून्य और अप्रभावी घोषित कर दिया।
प्रथम अपील के विरोध में कैथोलिक डायोसीज ऑफ गोरखपुर के अध्यक्ष की ओर से हाईकोर्ट में सेकेंड अपील दाखिल की गई। कोर्ट ने तथ्यों का अवलोकन करने व दलीलों को सुनने के बाद कहा कि प्रथम अपीलीय न्यायालय के फैसले में कोई त्रुटि नहीं मिली। सिवाय इसके कि अपीलकर्ता और राज्य पर भारी हर्जाना लगाया जाना चाहिए था।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे