
जबलपुर, 28 अप्रैल (Udaipur Kiran) । यूरो प्रतीक इस्पात के डायरेक्टर्स को खनिज कारोबारी महेंद्र गोयनका केस में हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है। याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट को बताया गया कि जांच प्रक्रिया शुरु से ही निष्पक्ष नहीं रही। महत्वपूर्ण दस्तावेजों,विशेष रूप से संदिग्ध इस्तीफे की फोरेंसिक जांच नहीं कराई गई थी। इसी के चलते जांच को बदलकर कटनी पुलिस अधीक्षक को सौंपा गया,ताकि निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके। रायपुर स्थित यूरो प्रतीक इस्पात इंडिया लिमिटेड के डायरेक्टर्स हिमांशु श्रीवास्तव,सन्मति जैन, सुनील अग्रवाल और सेक्रेटरी लाची मित्तल ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने उन्हें तत्काल कोई राहत नहीं दी। अदालत ने सभी संबंधित प्रकरणों को क्लब करते हुए 30 अप्रैल को अगली सुनवाई तय की है। इसमें खनिज कारोबारी महेंद्र गोयनका का नाम सामने आया था।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि वर्तमान में गिरफ्तारी पर कोई रोक नहीं है। कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक द्वारा की गई जांच रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। अब सभी प्रकरणों की संयुक्त सुनवाई 30 अप्रैल को होगी, जिसमें सभी बिंदुओं पर गहन विचार किया जाएगा। डायरेक्टर्स ने न केवल गिरफ्तारी से राहत मांगी, बल्कि एफआईआर रद्द करने की भी मांग की। उन्होंने दलील दी कि प्राथमिकी में तथ्यात्मक त्रुटियां हैं और इनके आधार पर कार्यवाही आगे नहीं बढ़नी चाहिए। शिकायतकर्ता हरनीत सिंह लांबा के वकील ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि जांच में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने अनुचित हस्तक्षेप किया,जिससे निष्पक्षता प्रभावित हुई। शिकायतकर्ता पक्ष ने अदालत से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पूरी तरह से पालन सुनिश्चित करने की मांग की। अब इस केस में अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी।
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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक
