झालरापाटन/जयपुर, 23 नवंबर (Udaipur Kiran) । पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि बादल कुछ देर तो सूरज के आगे आकर उसे अदृश्य कर सकते हैं, पर अधिक देर तक सूरज की दमक को रोकने का सामर्थ्य उनमें नहीं होता। महाराणा प्रताप के जीवन से हमें यह प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आजकल लोग पीठ में छुरा घोपनें में माहिर हैं। जबकि महाराणा कभी ऐसा नहीं करते थे। वे निहत्थे पर वार भी नहीं करते थे। दो तलवार साथ रखते थे, एक अपने लिए और एक निहत्थे के लिए।
राजे महाराणा प्रताप की प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम में बोल रही थी। उन्हाेंने कहा कि उन्होंने महिलाओं पर कभी हमला नहीं किया। वे मातृभूमि की रक्षा के लिए अंत तक लड़े। महाराणा प्रताप की 10 सीख बताते हुए राजे ने कहा कि समय का चक्र पहिये सा घूमता है। महलों में मख़मल पर सोने वाले राजा को भी जंगल में कांटों पर सोना पड़ता है। महाराणा का जीवन दर्शन हमें यही सिखाता है। महाराणा का सिद्धांत था कि अत्यंत विकट परिस्थिति में भी जो हार नहीं मानते हैं, जीत उन्ही की होती है। जो सुख में अति प्रसन्न और संकट में डर कर झुक जाते हैं, उन्हें न तो सफलता मिलती और न ही इतिहास उन्हें याद रखता। सांप से कितना ही प्रेम कर लो, वह अपने स्वभाव के अनुरूप कभी न कभी तो आप पर जहर उगलेगा ही। सर कटा लो, लेकिन दुश्मन के सामने कभी सर मत झुकाओ। जब तक लक्ष्य प्राप्ति न हो जाये, तब तक 24 घंटे जागते रहो। सोओ मत।
इस माैके पर आचार्य प्रज्ञा सागर महाराज, निरंजन नाथ महाराज, रामदास महाराज लूटरीवाले, झंकारेश्वर महाराज पीपाधाम, सांसद दुष्यंत सिंह, राजपूत छात्रावास समिति के अध्यक्ष कृष्ण पाल सिंह झाला, संरक्षक चंद्र सिंह नाथावत, अतुलजीत सिंह झाला, गाडुलिया लुहार समाज अध्यक्ष बाल चंद, प्रांतीय उपाध्यक्ष घासी लाल, आरपीएससी के पूर्व अध्यक्ष श्याम सुंदर शर्मा, विधायक गोविंद रानीपुरिया, कालू मेघवाल, जिला प्रमुख प्रेम बाई डांगी, भाजपा नेता संजय ताऊ, पालिका अध्यक्ष वर्षा चांदवाड़, नीरज डांगी माैजूद रहे।
—————
(Udaipur Kiran) / रोहित