मंडी, 13 दिसंबर (Udaipur Kiran) । जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुवाहाटी (आईआईटी गुवाहाटी), आईआईटी मंडी और सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी (सीएसटीईपी) बेंगलुरु ने मिलकर भारत के लिए जिला-स्तरीय जलवायु जोखिम आकलन रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में आईपीसीसी फ्रेमवर्क का उपयोग करते हुए बाढ़ और सूखे के जोखिमों का विस्तृत मानचित्रण किया गया है।
रिपोर्ट को प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों ने लॉन्च किया, जिनमें डीएसटी के वैज्ञानिक प्रभागों की प्रमुख डॉ. अनीता गुप्ता, स्विस विकास और सहयोग एजेंसी (एसडीसी) की वरिष्ठ क्षेत्रीय सलाहकार डॉ. सुशीला नेगी, आईआईटी गुवाहाटी के निदेशक प्रोफेसर देवेंद्र जलिहाल, आईआईटी मंडी के निदेशक प्रोफेसर लक्ष्मीधर बेहरा और अन्य प्रमुख शोधकर्ता शामिल थे।
इस रिपोर्ट में योगदान देने वाले प्रमुख शोधकर्ताओं में आईआईएससी बैंगलोर से प्रोफेसर रवींद्रनाथ, सीएसटीईपी बेंगलुरु से डॉ. इंदु के. मूर्ति, आईआईटी मंडी से डॉ. श्यामश्री दासगुप्ता और आईआईटी गुवाहाटी से डॉ. अनामिका बरुआ भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम के दौरान डॉ. अनीता गुप्ता ने कहा कि जलवायु परिवर्तन हमारे समय की सबसे विकट चुनौतियों में से एक है, जो कृषि, आजीविका और जीवन के हर पहलू को प्रभावित कर रहा है। इसके समाधान के लिए सामूहिक प्रयासों और अभिनव रूपरेखाओं की आवश्यकता है। इस रिपोर्ट के माध्यम से हम जलवायु जोखिम के प्रति स्थानीय समुदायों की संवेदनशीलता और उनकी कमजोरियों का आकलन कर रहे हैं, ताकि इसे जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से लागू किया जा सके।
आईआईटी गुवाहाटी के निदेशक प्रोफेसर देवेंद्र जलिहाल ने कहा, भारत का कृषि समाज मानसून पर अत्यधिक निर्भर है और जलवायु परिवर्तन के कारण सूखा और अत्यधिक वर्षा जैसी चुनौतियां और भी गंभीर हो रही हैं। इस रिपोर्ट में किए गए प्रयासों की सराहना करता हूं और उम्मीद है कि ये जानकारियां राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर लागू की जाएंगी।
आईआईटी मंडी की शोधकर्ता डॉ. श्यामश्री दासगुप्ता ने बताया, इस परियोजना ने हमें बाढ़ और सूखे के जोखिम से संबंधित अखिल भारतीय जिला स्तरीय मानचित्र तैयार करने और जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों की पहचान करने में मदद की है। यह परियोजना अत्यधिक डेटा-गहन है और बुनियादी संकेतकों पर समयबद्ध डेटा उपलब्धता की आवश्यकता को उजागर करती है।
रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को लेकर भारत में कई राज्यों ने अपने-अपने राज्य के लिए जलवायु जोखिम आकलन तैयार किया है। इस शोध का उद्देश्य बाढ़ और सूखे के खतरों से निपटने के लिए स्थानिक डेटा को लेकर नीति निर्माण और व्यावहारिक उपायों को बेहतर बनाना है।
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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा