Uttrakhand

जलवायु परिवर्तन से फसलों की उत्पादकता प्रभावित हुई है: मंत्री सतपाल महाराज

यूसीआरआरएफपी की ओर से आयोजित कार्यशाला को बतौर मुख्य अतिथि जलागम मंत्री सतपाल महाराज संबोधित करते हुए।

-जल उपलब्धता के लिए स्प्रिंगशेड मैनेजमेंट प्लान के तहत होगा कार्य: महाराज

देहरादून, 08 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । जलागम मंत्री सतपाल महाराज ने मंगलवार को कहा कि उत्तराखंड वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित हो रहा है। पहाड़ी क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं, तापमान में बढ़ोतरी और पानी की उपलब्धता में कमी आई है। इस कारण अधिकांश फसलों की उत्पादकता प्रभावित हुई है। जल स्रोतों में वृद्धि और इनके सतत प्रबन्धन के लिए स्प्रिंगशेड मैनेजमेंट प्लान की अवधारणा के अनुरूप कार्य किया जाएगा।

मंगलवार को आईसीएफआरई, ऑडिटोरियम, एफआरआई कैंपस में उत्तराखंड जलवायु अनूकूल बारानी कृषि परियोजना (यूसीआरआरएफपी) की ओर से आयोजित कार्यशाला को बतौर मुख्य अतिथि जलागम मंत्री सतपाल महाराज ने संबोधित करते हुए यह बातें कही। इस दौरान मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के चयनित सूक्ष्म जलागम क्षेत्रों में पर्वतीय कृषि को लाभदायक और ग्रीन हाउस गैस न्यूनीकरण के लिए सक्षम बनाने के लिए शक्तिशाली उत्पादन प्रणाली विकसित की जा रही है।

मंत्री ने कहा कि छह वर्षीय यह परियोजना चयनित 08 जनपदों में प्रारम्भ की जाएगी और इस परियोजना से 519 ग्राम पंचायतों की कुल 3.7 लाख जनसंख्या को लाभ मिलेगा। यह पहली ऐसी परियोजना है जो जलवायु परिवर्तन से कृषि क्षेत्र में हो रहे प्रभावों को कम करने के लिए विभिन्न जलवायु अनुकूल कृषि प्रणालियों को परियोजना क्षेत्र के तहत मॉडल रूप में विकसित करेगा।

उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में जल स्रोत जन समुदाय की जीवन रेखा है। जलवायु परिवर्तन से प्रदेश में जो जल स्रोत सर्वाधिक प्रभावित हो रहे हैं। जलवायु अनुकूल व्यवसायिक कृषि पद्धतियों को अपनाने से कृषकों की आय में वृद्धि होगी और परियोजना क्षेत्रों में विभिन्न कारणों से बंजर हो चुकी कृषि भूमि को पुनः उत्पादक बनाने के लिए विभिन्न वृक्ष प्रजातियों को भी रोपित किया जाएगा।

जलागम मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्र मोदी के कुशल मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में हम सबका साथ सबका विकास के मूलभूत सिद्धांत पर कार्य कर रहे हैं। वर्तमान परिदृश्य में ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारक है। भारत की ओर से वर्ष 1970 तक शून्य ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन का संकल्प लिया गया है।

इस अवसर पर कैंट विधायक सविता कपूर, जलागम के मुख्य परियोजना निदेशक आनंद वर्धन, परियोजना निदेशक नीना ग्रेवाल, सिंचाई विभाग के प्रमुख अभियंता जयपाल, विश्व बैंक टास्क टीम लीडर रंजन सामन्त्रे, पंचायती राज विभाग के संयुक्त निदेशक राजीव नाथ त्रिपाठी, डॉ. रेनू सिंह, डॉ. ए.के. नायक, प्रोफेसर सुमित सेन, डॉ. एम.के. वर्मा, प्रोफेसर शेखर मुद्दू, डॉ. लक्ष्मीकांत, डॉ. सुभाष शर्मा एवं डॉ ए.एस. नैन आदि अधिकारी उपस्थित थे।

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(Udaipur Kiran) / राजेश कुमार

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