जोधपुर, 25 सितम्बर (Udaipur Kiran) । संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी मामले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को राजस्थान हाईकोर्ट ने क्लीन चिट दे दी है। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की ओर से दी रिपोर्ट में भी कहा गया कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है। दरअसल शेखावत की ओर से दायर याचिका में एफआईआर के साथ जांच को भी रद्द करने को लेकर मांग की गई थी। गत 17 सितंबर को जस्टिस अरुण मोंगा की बैंच ने मामले में अंतिम आदेश पारित करते हुए एसओजी को इस सवाल का जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया कि ‘क्या एसओजी गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने का इरादा रखती है।
मामले में एसओजी की ओर से एक विस्तृत रिपोर्ट दायर की गई। इसमें कहा गया कि गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ कोई भी सबूत नहीं है और कंपनियों में निदेशक के रूप में उनके इस्तीफे के बाद किए गए अपराधों के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। ऐसे में कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए निर्देश दिया कि एसओजी की ओर से पेश की गई विस्तृत रिपोर्ट के आधार पर याचिकाकर्ता गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है। एडवोकेट आदित्य विक्रम सिंह ने जानकारी दी कि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि एसओजी ट्रायल कोर्ट से अनुमति लिए बिना शेखावत के खिलाफ आगे की जांच नहीं कर सकती है।
एक बार फिर सत्य की हुई जीत: शेखावत
हाईकोर्ट के आदेश के बाद गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि मैंने पहले भी कहा था कि सत्य को बादलों के आवरण से ढकने और कालिख पोतने की कोशिश की जा सकती है। लेकिन, अंत में सत्य सामने आता है। झूठ खड़ा करने का षड्यंत्र, अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति और बेटे की हार से उत्पन्न खीझ की मानसिकता के चलते मुझे घसीटने की कोशिश की गई थी। आज न्यायालय ने उस पर अपना फैसला सुनाते हुए एसओजी की जांच को रद्द कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि आगे न्यायालय की अनुमति के बिना जांच नहीं की जाएगी। एक बार फिर सत्य जीता है। वहीं ऐसी घटिया मानसिकता, जिसके जरिए किसी व्यक्ति के चरित्र हरण करने का प्रयास किया गया। उन लोगों के मुंह पर आज न्यायालय के निर्णय के बाद एक तमाचा लगा है।
शेखावत का इसलिए आया था नाम
संजीवनी घोटाले के मुख्य आरोपी विक्रम सिंह गजेंद्र सिंह शेखावत के नजदीकी बताए जा रहे थे। इथोपिया में शेखावत और विक्रम सिंह की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर हैं। इधर, पीडि़तों का कहना था कि कंपनी में निवेश के समय शेखावत का नाम प्रमुखता से लिया गया था। विक्रम सिंह ने शेखावत और उनके साथ की फोटो और उनका शेयर में होल्ड आदि दिखा कर निवेश करवाया था।
(Udaipur Kiran) / सतीश