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नेपाल के सामरिक महत्व के दो हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट हासिल करने को लॉबिंग कर रहा चीन

अपर अरूण हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट

काठमांडू, 17 दिसंबर (Udaipur Kiran) । नेपाल के साथ बीआरआई प्रोजेक्ट कार्यान्वयन समझौता करने के बाद चीन अब सामरिक महत्व के दो हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट हासिल करने के लिए लॉबिंग करने में जुटा है।

पूर्वी नेपाल के जिस अरुण नदी पर भारत सरकार का तीन हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट निर्माणाधीन है, उसी नदी के सबसे ऊपरी हिस्से में अपर अरुण हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट को लेकर चीन और नेपाल सरकार के बीच बातचीत शुरू हुई है। 1069 मेगावाट क्षमता के इस अपर अरुण हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट लेने के लिए भारत की तरफ से नेपाल से कई बार आग्रह किए जाने के बावजूद यह प्रोजेक्ट चीन को देने की तैयारी है।

नेपाल में चीन के राजदूत छन सोंग ने मंगलवार को ऊर्जा मंत्री दीपक खड़का से मुलाकात कर अपर अरुण हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट में दिलचस्पी दिखाई है। इसके अलावा नेपाल की उत्तरी सीमा पर रहे 454 मेगावाट के किमाथांका हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट के निर्माण का भी प्रस्ताव दिया है। ऊर्जा मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि चीन काफी दिनों से इन दो हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट को लेने के लिए ऊर्जा मंत्रालय से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक लॉबिंग कर रहा है।

प्रधानमंत्री कार्यालय में सचिव रहे कृष्ण हरि पुष्कर ने बताया कि भारत ने इन दो हाइड्रोपॉवर के निर्माण की इच्छा जताते हुए कई बार आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि भारत के ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से लिखित आग्रह भी किया गया है लेकिन इसको लेकर कोई सकारात्मक जवाब अब तक नहीं मिल पाया है। इसी बीच चीन की तरफ से इन्हीं दोनों हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट के अचानक दिलचस्पी दिखाने के बाद अब यह मामला प्रधानमंत्री के हाथों में आ गया है।

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के दिसंबर के पहले हफ्ते में हुई चीन यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच ट्रांस हिमालयन पावर ट्रेड एग्रीमेंट होने के बाद अब चीन इन दोनों हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट को हासिल करना चाहता है। दरअसल भारत सरकार के प्रत्यक्ष निवेश में इस समय 900 मेगावाट के अरुण-3, 669 मेगावाट के डाउन अरुण और 490 मेगावाट के अरुण-4 हाइड्रोपॉवर निर्माणाधीन हैं। इन सभी प्रोजेक्ट के ऊपर अपर अरुण है जिसे चीन हथियाना चाहता है।

हाइड्रो मामले के विशेषज्ञ अरुण सुवेदी ने कहा कि चीन सबसे ऊपर वाले हाइड्रोपॉवर पर कब्जा करना चाह रहा है ताकि जब वो चाहे भारत के द्वारा निचले हिस्से में बनाए जाने वाले तीन हाइड्रोपॉवर को नियंत्रित कर सके। चीन जब चाहे ऊपरी हिस्से में डैम आदि बनाकर नीचे पानी के बहाव को बंद कर उसको प्रभावित कर सकता है।

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(Udaipur Kiran) / पंकज दास

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