बिलासपुर , 12 नवंबर (Udaipur Kiran) ।आंगनबाड़ी में बच्चों को फल, दूध आदि नहीं दिए जाने पर हाईकोर्ट ने इसे स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की है। आज चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने कोर्ट कमिश्नरों की रिपोर्ट से सचिव महिला बाल विकास विभाग के शपथपत्र का तुलनात्मक मिलान करने को कहा है। मामले में अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी।
बता दें कि दुर्ग जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों को फल और दूध नहीं दिए जाने की जानकारी समाचारपत्र में प्रकाशित हुई थी। इस खबर पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया और इसे जनहित याचिका के रूप में दर्ज किया । चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डीबी ने इसके लिए एडवोकेट अमिय कांत तिवारी , सिध्दार्थ दुबे, आशीष बेक ,ईशान वर्मा को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया। इन लोगों ने इन केन्द्रों में जाकर वस्तुस्थिति जानी और अपनी रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की।
कोर्ट कमिश्नरों को सबंधित अधिकारियों ने बताया कि फल दूध की जगह पौष्टिक भोजन दिया जा रहा है। रिपोर्ट आने के बाद हाईकोर्ट ने राज्य शासन के संबंधित प्राधिकारी से शपथपत्र के साथ जवाब माँगा था। मामले में राज्य के मुख्य सचिव और अन्य अफसरों को पक्षकार बनाया गया। इसके कुछ समय बाद सूरजपुर ,कवर्धा और बस्तर से भी यही मामला सामने आया। इन जगहों पर जाकर भी कमिश्नरों ने प्रत्यक्ष निरीक्षण कर फिर अपनी रिपोर्ट तैयार की। इस बीच सचिव महिला बाल विकास ने कोर्ट में शपथपत्र प्रस्तुत किया। आज मंगलवार को चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान उपस्थित कोर्ट कमिश्नर से कोर्ट ने कहा कि वे अपनी रिपोर्ट से इस शपथपत्र को तुलना कर लें ताकि मालूम हो सके कि अदालत के आदेश का पालन हुआ है या नहीं।
(Udaipur Kiran) / Upendra Tripathi