कोलकाता, 16 जनवरी (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत ने गुरुवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटना सिर्फ पर्यावरणीय एजेंडा नहीं है, बल्कि यह एक विकास प्राथमिकता है जिसके लिए अधिक वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता है।
पंत कोलकाता में ‘ग्रीन क्लाइमेट फंड रेडीनेस प्रोग्राम’ के तहत पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यशाला ‘भारत के हरित परिवर्तन योजना और अनुकूलन जरूरतों के लिए वित्तपोषण’ में बोल रहे थे।
मुख्य सचिव ने कहा कि वर्तमान समय में जलवायु वित्त तक पहुंच सीमित है, जिसमें संस्थागत क्षमता, व्यवहार्य परियोजनाओं की कमी और विकास योजना में जलवायु मुद्दों को शामिल करने के मानकीकृत तरीकों का अभाव जैसे कई चुनौतियां शामिल हैं। इसलिए, ध्यान पारिस्थितिक तंत्र आधारित दृष्टिकोणों में निवेश बढ़ाने और जलवायु-लचीली कृषि को बढ़ावा देने पर होना चाहिए।
पंत ने जलवायु परिवर्तन प्रयासों में सामुदायिक भागीदारी के महत्व और विकेंद्रीकृत, संदर्भ-विशिष्ट वित्तपोषण मॉडलों को बनाने और सहयोग करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, इसके लिए राज्यों और स्थानीय संस्थानों की क्षमता को मजबूत करना आवश्यक है ताकि वे ग्रीन क्लाइमेट फंड (जीसीएफ) जैसे प्रस्तावों को तैयार कर सकें।
वित्त मामलों और सतत विकास से संबंधित मुद्दों पर आर्थिक सलाहकार, राजश्री रे ने कहा कि निम्न-कार्बन और जलवायु-लचीले विकास को प्राप्त करने के लिए सभी हितधारकों, नीति निर्माताओं, नियामकों और वित्तीय प्रणाली के बीच एक सुसंगत दृष्टिकोण आवश्यक है।
उन्होंने हरित दिशा-निर्देश अपनाने, निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिकाओं को स्पष्ट करने और जलवायु जोखिमों को संबोधित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
कार्यशाला में इस बात पर भी चर्चा हुई कि जलवायु अनुकूलन तकनीकों में निवेश बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है।
इस उद्घाटन सत्र में बंधन ग्रुप के चेयरमैन चंद्र शेखर घोष, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की डिप्टी रेजिडेंट रिप्रेजेंटेटिव इसाबेल त्सचान हराडा, इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स के चेयरमैन और आदित्य बिड़ला ग्रुप के चीफ सस्टेनेबिलिटी ऑफिसर डॉ. नरेश त्यागी भी शामिल थे।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर