Assam

असम का आजादी के बाद बार-बार विभाजन हुआ: मुख्यमंत्री

जिला आयुक्तों के साथ मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा की वीडियो कांफ्रेंसिंग की तस्वीर।

गुवाहाटी, 27 फरवरी (Udaipur Kiran) । असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने राज्य के ऐतिहासिक संघर्षों का उल्लेख करते हुए आर्थिक विकास की दिशा में सकारात्मक संकेत दिए हैं।

उन्होंने मीडिया से आज बात करते हुए कहा कि असम को गंभीर विरासत संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा है। विभाजन का प्रभाव असम पर पड़ा, राज्य पांच बार विभाजित हुआ और राजधानी भी खोनी पड़ी। 2014 के बाद ही केंद्र सरकार ने असम को मुख्यधारा में लाने के लिए विशेष प्रयास किए।

पत्रकारों से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने असम की भौगोलिक स्थिति और अन्य चुनौतियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि असम एक लैंडलॉक राज्य है और उग्रवाद सहित कई समस्याओं से जूझता रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि स्वतंत्रता के बाद असम का पांच बार विभाजन हुआ, जबकि बंगाल का आजादी के बाद फिर से विभाजन नहीं हुआ।

डॉ. सरमा ने कहा कि असम को अपनी राजधानी छोड़नी पड़ी थी, लेकिन इसके पुनर्निर्माण के लिए किसी प्रकार की वित्तीय सहायता नहीं मिली। उन्होंने कहा, भारत में असम ही एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसे अपनी राजधानी से वंचित होना पड़ा और इसके पुनर्निर्माण के लिए कोई आर्थिक मदद नहीं दी गई।

राज्य के विकास में दशकों की उपेक्षा को जिम्मेदार ठहराते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 1947 से 2014 के बीच असम को नजरअंदाज किया गया और यहां तक कि स्थानीय लोग भी राज्य की स्थिति को सुधारने में रुचि नहीं ले रहे थे।

हालांकि, उन्होंने असम के आर्थिक भविष्य को लेकर विश्वास व्यक्त किया और दावा किया कि निवेश के मामले में राज्य ने पश्चिम बंगाल से भी अधिक प्रस्ताव प्राप्त किए हैं। उन्होंने कहा, बंगाल ने करीब 4.4 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव आकर्षित किए होंगे, लेकिन हमने इससे अधिक हासिल किया है।

हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह असम की तुलना अन्य राज्यों से नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा, बंगाल बड़ा राज्य है, उसकी जनसंख्या अधिक है। असम एक छोटा राज्य है, इसलिए मैं तुलना में नहीं जाना चाहता।

(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश

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