HimachalPradesh

90 रुपये प्रति किलो की दर से हल्दी खरीदेगी प्रदेश सरकार, मुख्यमंत्री सुक्खू ने जारी किया पंजीकरण प्रपत्र

मुख्यमंत्री पंजीकरण प्रपत्र जारी करते हुए

शिमला, 07 अप्रैल (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने सोमवार को किसानों को एक और बड़ी सौगात देते हुए प्राकृतिक खेती से उगाई गई हल्दी की सरकारी खरीद के लिए पंजीकरण प्रपत्र जारी किया। इसके साथ ही किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित करने की दिशा में सरकार ने एक और ठोस कदम बढ़ाया है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में राज्य सरकार ने प्राकृतिक पद्धति से उगाई गई हल्दी को 90 रुपये प्रति किलो के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदने का निर्णय लिया है। यह कदम किसानों की आर्थिकी को मजबूत करने के साथ-साथ प्रदेश में जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देगा।

सरकार द्वारा किसानों का पंजीकरण कृषि विभाग के माध्यम से किया जाएगा, साथ ही उन्हें प्राकृतिक खेती से जुड़ा प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि पंजीकृत किसानों से खरीदी गई कच्ची हल्दी का प्रसंस्करण हमीरपुर स्थित स्पाइस पार्क में किया जाएगा। प्रोसेस्ट हल्दी को ‘हिमाचल हल्दी’ ब्रांड के तहत बाजार में उतारा जाएगा, जिससे उत्पाद की गुणवत्ता और पहचान दोनों को बल मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहली बार है जब राज्य सरकार किसानों से सीधे कच्ची हल्दी खरीदेगी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को न केवल आजीविका के अवसर मिलेंगे, बल्कि स्थानीय आर्थिकी को भी मजबूती मिलेगी।

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के अपने प्रयासों के तहत सरकार पहले ही गेहूं को 60 रुपये प्रति किलो और मक्की को 40 रुपये प्रति किलो की दर से खरीद रही है। इसके अतिरिक्त, दूध के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी बीते दो वर्षों में 21 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है। वर्तमान में गाय का दूध 51 रुपये और भैंस का दूध 61 रुपये प्रति लीटर में खरीदा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि फिलहाल प्रदेश में करीब 2,042.5 हेक्टेयर क्षेत्र में हल्दी की खेती हो रही है, जिससे हर वर्ष लगभग 24,995 मीट्रिक टन हल्दी का उत्पादन होता है। हमीरपुर, कांगड़ा, बिलासपुर, सिरमौर, मंडी और सोलन जैसे जिले इस उत्पादन में अग्रणी हैं। हल्दी की औषधीय विशेषताओं और कोविड-19 के बाद इसकी घरेलू और वैश्विक मांग में हुई वृद्धि ने इसे किसानों के लिए एक आकर्षक विकल्प बना दिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हल्दी एक ऐसी फसल है जिसे बंदर जैसे जंगली जानवर नुकसान नहीं पहुंचाते, इसकी खेती में श्रम की आवश्यकता भी कम होती है और कटाई के बाद इसकी शेल्फ लाइफ लंबी होती है। यही कारण है कि यह फसल प्रदेश के किसानों के लिए अत्यंत उपयुक्त है।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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