

– विद्याधर नगर में शिव महापुराण कथा के चौथे दिन लव जिहाद, सामाजिक मूल्यों और भारत-पाक मुद्दे पर बोले कथावाचक प्रदीप मिश्रा
जयपुर, 4 मई (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने रविवार को विद्याधर नगर स्टेडियम में आयोजित शिव महापुराण कथा में भाग लिया और प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के प्रवचनों का श्रवण किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने मिश्रा का दुपट्टा ओढ़ाकर सम्मान किया और भगवान शिव की आरती कर प्रदेश की समृद्धि और जनकल्याण की प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों से सनातन संस्कृति और हमारी विरासत को मजबूती मिलती है।
कथा के दौरान पंडित प्रदीप मिश्रा ने बेटियों की शिक्षा, लव जिहाद, पारिवारिक मूल्यों और सामाजिक सजगता जैसे कई विषयों पर अपनी बात रखी।
उन्होंने कहा कि बेटियां किस्मत वालों के घर जन्म लेती हैं। माता-पिता को कन्यादान का अवसर मिले, यह जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
मिश्रा ने बेटियों से सजग रहने की अपील करते हुए कहा कि आजकल कुछ युवक मोटरसाइकिल पर स्टंट दिखाकर, दस रुपए की चाऊमीन खिला कर या फोन में बैलेंस डलवाकर लड़कियों को फंसाने की कोशिश करते हैं। उन्होंने बेटियों से आग्रह किया कि वे ऐसी चीजों से बचें और अपने माता-पिता को “कन्यादान का सौभाग्य” देने का संकल्प लें।
मिश्रा ने कहा कि जिन माता-पिता ने बेटियों को पढ़ाया, जमीन गिरवी रखी, गहने बेच दिए-उन्हें नजरअंदाज करना दुर्भाग्यपूर्ण है। जिस दिन बेटियां अपने माता-पिता की इच्छा को सर्वोपरि रखेंगी, वहीं से उनके जीवन की सफलता शुरू होगी।
उन्होंने कहा कि बेटी का सबसे बड़ा धन शिक्षा है, और माता-पिता को चाहिए कि बेटों से कहीं अधिक बेटियों को पढ़ाएं। उन्होंने कहा कि बेटी को इतना सक्षम बनाओ कि उसे कन्यादान की जरूरत न पड़े, बल्कि वह अपने जीवन के निर्णय स्वयं ले सके।
कथा में उन्होंने पाकिस्तान से बदला लेने की चर्चा करते हुए कहा कि हर युद्ध सिर्फ हथियारों से नहीं लड़ा जाता, कुछ युद्ध बुद्धि और धैर्य से भी जीते जाते हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर चल रहे कुछ बयानों का जिक्र करते हुए कहा कि बदला लिया जाएगा, लेकिन समय आने पर सही रणनीति के साथ।
प्रदीप मिश्रा ने कथा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि जयपुर में इस कथा का आयोजन कोई सामान्य बात नहीं, यह स्वयं भगवान गोविंद देव और भगवान शिव की इच्छा से संभव हुआ है।
उन्होंने कहा कि जयपुरवासियों के शिव से आत्मिक संबंध हैं और यह कथा इसी विश्वास और भक्ति का परिणाम है।
भावुक कर देने वाले शब्दों में उन्होंने कहा कि यह कथा किसी के वश की बात नहीं होती। यह उन्हीं की मुरली की तान और मुस्कान से फिर शुरू हुई है।
कथा स्थल पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी और वातावरण भक्ति और आस्था से सराबोर रहा।
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(Udaipur Kiran) / रोहित
