Jharkhand

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में सम्मिलित हुए

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री सहित अन्य

रांची, 24 मई (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शनिवार को नई दिल्ली के भारत मंडपम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में सम्मिलित हुए। बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने विचारों को रखने के साथ कई अहम सुझाव दिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विकसित भारत की परिकल्पना विकसित राज्य से होती है, जिसमें विकसित गांव को जोड़ना सबसे जरूरी है। विकसित भारत की मूल परिकल्पना का केंद्र बिंदु गरीबी उन्मूलन, महिला सशक्तिकरण, युवा कौशल, किसानों के विकास, पूर्ण शिक्षा, आर्थिक, आधारभूत संरचना और तकनीकी विकास के क्षेत्र में सतत विकास है। इसके लिए हमारी सरकार लगातार कार्य कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए लगभग 50 लाख महिलाओं को प्रतिमाह 2500 रुपये की राशि प्रदान कर रही है।

एक लाख चालीस हजार चार सौ पैंतीस करोड़ रुपये बकाया का किया जिक्र

मुख्यमंत्री ने कहा कि खनन कंपनियों द्वारा ली गई भूमि जो कि (नॉन पेमेंट ऑफ लैंड कम्पनशेशन) में आती है उनका राज्य सरकार पर एक लाख चालीस हजार चार सौ पैंतीस करोड़ रुपए बकाया है. जिसको यथाशीघ्र मुहैया कराया जाए और सीबीए एक्ट में संशोधन कर खनन पश्चात कंपनियों को भूमि राज्य सरकार को पुनः वापस देने का प्रावधान किया जाए। राज्य में अनाधिकृत खनन के लिए कम्पनियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए।

खनन कंपनियों को कैप्टिव प्लांट लगाने की होनी चाहिए अनिवार्यता

राज्य में कोल बेस्ड मीथेन गैस की बहुतायत है, जिसका तकनीकी रुप से इस्तेमाल कर ऊर्जा उत्पादन में प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही राज्य में खनन कंपनियों को कैप्टिव प्लांट लगाने की अनिवार्यता होनी चाहिए।

कुल उत्पादन का 30 प्रतिशत राज्य में इस्तेमाल होने से रोजगार सृजन में भी वृद्धि होगी। प्रदेश का वन क्षेत्र पूर्वोत्तर राज्यों के समकक्ष है, जिससे आधारभूत संरचना के लिए क्लियरेंस में देरी अवरोध बनती है, जिसका निवारण किया जाए और पूर्वोत्तर राज्यों को मिलने वाली विशेष सहायता झारखंड को भी प्रदान कराई जाए।

मुख्यमंत्री ने नीति आयोग को बताया

– केंद्र सरकार की योजनाओं के मानदंड में बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया।

– झारखंड सरकार ने सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी कई योजनाएं बनाई हैं, जिनमें पेंशन योजना, मइयां सम्मान योजना, अबुआ स्वास्थ्य योजना प्रमुख हैं।

– राज्य में रेल परिचालन विस्तृत करने की आवश्यकता।

– कंपनियों के सीएसआर फंड और डीएमएफटी फंड को राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में समाहित करने की आवश्यकता।

– साहेबगंज जिला कार्गो हब की दृष्टि से बहुत ही कारगर सिद्ध हो सकता है।

– सीमावर्ती राज्यों को भी सुविधा प्रदान करेगा।

– साहेबगंज जिले में गंगा नदी पर अतिरिक्त पुल का निर्माण या उच्च स्तरीय बांध बनाना महत्वपूर्ण है।

क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने के उपाय बताए

– स्ट्रेटेजिक इंपॉर्टेंट क्षेत्र में आधारभूत संरचना के विस्तार को प्राथमिकता देना पड़ेगा।

– राज्य में डेडीकेटेड इंडस्ट्रियल माइनिंग कॉरिडोर विकसित करने से सामान्य परिचालन में सुविधा बढ़ जाएगी।

मुख्यमंत्री के सुझाव

– राज्य सरकार 25 लाख परिवारों को पांच किलोग्राम चावल प्रतिमाह दे रही है।

– आयुष्मान योजना से वंचित 28 लाख परिवारों को 5 लाख का स्वास्थ्य बीमा देने की बात कही।

– आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से वंचित 38 लाख गरीब परिवारों को 15 लाख रुपए तक का स्वास्थ्य बीमा देने की आवश्यकता बताई।

– स्वास्थ्य के क्षेत्र में जिलावार हेल्थ प्रोफाइल तैयार करने की बात कही, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने का सुझाव दिया।

केंद्र-राज्य सहयोग पर जोर

– केंद्र की योजनाओं को राज्यों के अनुरूप लागू करने की आवश्यकता बताई।

– मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना एवं अन्य योजनाओं की राशि में वृद्धि की आवश्यकता पर जोर दिया।

– सीएनटी एवं एसपीटी एक्ट के कारण उद्यम के लिए आ रही समस्याओं का समाधान करने की बात कही।

नक्सल समस्या और विशेष केंद्रीय सहायता

– नक्सल समस्या पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वर्ष 2014 में 16 जिले प्रभावित थे, जो अब 2 जिलों तक सिमट गया है।

– विशेष केंद्रीय सहायता को सभी 16 जिले में लागू रखने की आवश्यकता बताई।

मजदूरों के कल्याण और सुरक्षा

– कोविड जैसी महामारी में मजदूरों को सहायता प्रदान कराई गई।

– हाल ही में कैमरून में फंसे मजदूरों को राज्य सरकार ने अपने व्यय से वापस बुलाया।

– वैसे मजदूर जो किसी दूसरे देश में काम करना चाहते हैं, उनके वीजा, सुरक्षा और व्यय में केंद्र सरकार की भागीदारी सुनिश्चित करने की आवश्यकता बताई।

केंद्र-राज्य के बीच राजस्व बंटवारे

– 16वें वित्त आयोग द्वारा संघीय व्यवस्था में केंद्र एवं राज्य सरकारों के बीच राजस्व के बंटवारे के संदर्भ में आवश्यक प्रक्रिया बनाने की बात कही।

– राजस्व के वर्टिकल डेवल्यूशन 41प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की आवश्यकता बताई।

– जीएसटी अधिनियम लागू होने के बाद झारखंड जैसे विनिर्माता राज्य के लिए पूर्व के वैट से राजस्व संग्रहण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, इसका समाधान करने की आवश्यकता बताई।

इस अहम बैठक में मुख्य सचिव अलका तिवारी, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, स्थानिक आयुक्त अरवा राजकमल, योजना सचिव मुकेश कुमार भी झारखंड की ओर से शामिल रहे।

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(Udaipur Kiran) / विकाश कुमार पांडे

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