Uttrakhand

मुख्यमंत्री ने भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों और रैनफाल की तकनीकि संस्थानों से अध्ययन कराने के दिए निर्देश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग की समीक्षा करते।
आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग की समीक्षा बैठक में जिलाधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़ते हुए।

-सभी अधिकारी आपदा की चुनौतियों का सामना आपसी समन्वय से करें

-वरूणावत के पूर्व अध्ययनों का संज्ञान लेकर प्रभावी व्यवस्था बनाएं

-सभी जिलाधिकारियों से भूस्खलन क्षेत्रों की सूची तैयार करें

-पुर्ननिर्माण योजनाओं पर तेजी से कार्य किया जाए

देहरादून, 29 अगस्त (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री ने भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों और रैनफाल की तकनीकि संस्थानों से अध्ययन कराने के निर्देश देते हुए कहा कि भूस्खलन से संबंधित चेतावनी प्रणाली को विकसित किया जाए। सभी अधिकारी आपदा की चुनौतियों का सामना आपसी समन्वय से करें। आपदा प्रभावितों की मदद करना हमारी जिम्मेदारी है।

गुरूवार शाम सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शासन के उच्चाधिकारियों और वीडिया क्रांन्फ्रेसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों के साथ आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास से संबंधित कार्यों की समीक्षा की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों से जनपदों में अतिवृष्टि से हुए नुकसान और राहत और बचाव कार्यों की जानकारी प्राप्त की।

उन्होंने जिलाधिकारी उत्तरकाशी को वरूणावत भूस्खलन क्षेत्र के तकनीकि अध्यनन् के लिए आई.आई.टी रूड़की और टी.एच.डी.सी. से सहयोग के निर्देश देते हुए कहा कि इस संबंध में पूर्व में हुए अध्ययनों का भी संज्ञान लिया जाए ताकि लैंडस्लाइड जोन के उपचार की प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित हो। उन्होंने जानकीचट्टी के आसपास के क्षेत्रों के उपचार व विस्तारीकरण के कार्यों में भी तेजी लाने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों से भूस्खलन क्षेत्रों की सूची तैयार करने और बरसात समाप्त होते ही सड़क मरम्मत सहित अन्य पुर्ननिर्माण योजनाओं पर तेजी से कार्य किए जाने के लिए टेण्डर प्रक्रिया अविंलब प्रारंभ करने को कहा।

उन्होंने चारधाम यात्रा मार्ग के मरम्मत के साथ ही भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों और रेनफाल की स्थिति की भी तकनीकि संस्थानों से अध्यनन कराए जाने के निर्देश दिए। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में होने वाले पुर्ननिर्माण कार्यों पर पूरा ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया।

मुख्यमंत्री ने भूस्खलन से संबंधित चेतावनी प्रणाली को विकसित करने और आपदा की चुनौतियों का आपसी समन्वय से सामना करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आपदा मद में धनराशि की सीमा बढ़ाये जाने से निर्माण कार्य बेहतर ढंग से हो सकेंगे। आपदा पीड़ितो की सहायता और पुननिर्माण कार्यों के लिए धनराशि आड़े हाथ नहीं आएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा के कारण विकास कार्य प्रभावित न हो इस दिशा में भी ध्यान दिया जाए। उन्होंने 7-8 जुलाई को सितारंगज टनकपुर बनबसा और तराई भाबर के क्षेत्रों में दशकों बाद भारी मात्रा में पानी जमा होने व बाढ़ की स्थिति पैदा होने की स्थिति के भी अध्ययन की जरूरत बताई। उन्होंने जल निकासी प्रणाली और ड्रेनेज सिस्टम को और प्रभावी बनाने पर जोर दिया।

जिलाधिकारियों के प्रयासों की सराहना:

मुख्यमंत्री ने प्रदेश में आपदा के दौरान राहत एवं बचाव कार्यों की जिलाधिकारियों के प्रयासों की सराहना करते हुए इसके रिस्पांस टाइम को और बेहतर बनाये जाने को कहा। आपदा पीड़ितों की तुरंत मदद करना हमारी जिम्मेदारी है। हम आपदा को रोक तो नहीं सकते है, लेकिन उसके प्रभाव को पीड़ितों की मदद कर कम कर सकते हैं।

पौधरोपण और अमृत सरोवरों की स्थिति की मांगी रिपोर्ट:

मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों से पौधरोपण की रिपोर्ट तैयार करने और अमृत सरोवरों की स्थिति की भी जानकारी उपलब्ध कराने को कहा। सभी कार्य धरातल पर दिखाई दे, यह भी सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सितंबर में भी भारी वर्ष की संभावना के दृष्टिगत सभी अधिकारी सतर्क रहे व वर्षा के बाद होने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए प्रभावी कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए।

सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से प्रदेश में आपदा की स्थिति, राहत, पुनर्वास और पुर्ननिर्माण से संबंधित कार्यों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आपदा मद में हुई धनराशि वृद्धि से क्षतिग्रस्त सम्पत्तियों, आवासीय भवनों, मूलभूत सेवाओं को सुचारू करने और वृहद योजनाओं को भी पुननिर्मित करने में मदद मिलेगी।

बैठक में उपाध्यक्ष उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन श्री विनय रोहिला, उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद् विश्वास डाबर, प्रमुख सचिव आर. के सुधांशु,, गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पाण्डेय, सचिव आर. राजेश कुमार, एस.एन.पाण्डेय, श्री रविनाथ रामन, डॉ पंकज कुमार पाण्डे, प्रमुख वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, बी.आर.ओ के अधिकारियों के साथ वर्चुअल माध्यम से सभी जिलाधिकारी उपस्थित थे।

—–*मुमंत्री ने की आपदा प्रबंधन एनर्वास विभाग की समीक्षा*

मुख्यमंत्री ने भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों और रैनफाल की तकनीकि संस्थानों से अध्ययन कराने के दिये निर्देश

*भूस्खलन से संबंधित चेतावनी प्रणाली की जाय विकसित*

*सभी अधिकारी आपदा की चुनौतियों का आपसी समन्वय से करें सामना*

*आपदा प्रभावितों की मदद करना हमारी जिम्मेदारी-मुख्यमंत्री*

गुरूवार शाम सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शासन के उच्चाधिकारियों और वीडिया क्रांन्फ्रेसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों के साथ आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास से संबंधित कार्यों की समीक्षा की।

मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों से जनपदों में अतिवृष्टि से हुए नुकसान और राहत एवं बचाव कार्यों की जानकारी प्राप्त की। उन्होंने जिलाधिकारी उत्तरकाशी को वरूणावत भूस्खलन क्षेत्र के तकनीकि अध्यनन् के लिए आई.आई.टी रूड़की और टी.एच.डी.सी. से सहयोग के निर्देश देते हुए कहा कि इस संबंध में पूर्व में हुए अध्ययनों का भी संज्ञान लिया जाए ताकि लैंडस्लाइड जोन के उपचार की प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित हो।

उन्होंने जानकीचट्टी के आसपास के क्षेत्रों के उपचार एवं विस्तारीकरण के कार्यों में भी तेजी लाए जाने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों से भूस्खलन क्षेत्रों की सूची तैयार करने और बरसात समाप्त होते ही सड़क मरम्मत सहित अन्य पुर्ननिर्माण योजनाओं पर तेजी से कार्य किए जाने के लिए टेण्डर प्रक्रिया अविंलब प्रारंभ करने को कहा।

उन्होंने चारधाम यात्रा मार्ग के मरम्मत के साथ ही भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों और रेनफाल की स्थिति की भी तकनीकि संस्थानों से अध्यनन कराए जाने के निर्देश दिए। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में होने वाले पुर्ननिर्माण कार्यों पर पूरा ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया।

मुख्यमंत्री ने भूस्खलन से संबंधित चेतावनी प्रणाली को विकसित किये जाने तथा आपदा की चुनौतियों का आपसी समन्वय से सामना किये जाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आपदा मद में धनराशि की सीमा बढ़ाये जाने से निर्माण कार्य बेहतर ढंग से हो सकेंगे। आपदा पीड़ितो की सहायता एवं पुननिर्माण कार्यों के लिए धनराशि की कमी न होने देने की बात भी मुख्यमंत्री ने कही।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा के कारण विकास कार्य प्रभावित न हो इस दिशा में भी ध्यान दिया जाए। उन्होंने 7-8 जुलाई को सितारंगज टनकपुर बनबसा तथा तराई भाबर के क्षेत्रों में दशकों बाद भारी मात्रा में पानी जमा होने तथा बाढ़ की स्थिति पैदा होने की स्थिति के भी अध्ययन की जरूरत बताई। उन्होंने जल निकासी प्रणाली तथा ड्रेनेज सिस्टम को और प्रभावी बनाये जाने के भी निर्देश दिये।

मुख्यमंत्री ने प्रदेश में आपदा के दौरान राहत एवं बचाव कार्यों की जिलाधिकारियों के प्रयासों की सराहना करते हुए इसके रिस्पांस टाइम को और बेहतर बनाये जाने को कहा। उन्होंने कहा कि आपदा पीड़ितों की तुरंत मदद करना हमारी जिम्मेदारी है। हम आपदा को रोक तो नहीं सकते है, लेकिन उसके प्रभाव को पीड़ितों की मदद कर कम कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों से पौधरोपण की रिपोर्ट तैयार करने और अमृत सरोवरों की स्थिति की भी जानकारी उपलब्ध कराने को कहा। सभी कार्य धरातल पर दिखाई दे, यह भी सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सितंबर में भी भारी वर्ष की संभावना के दृष्टिगत सभी अधिकारी सतर्क रहे व वर्षा के बाद होने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए प्रभावी कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए।

सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से प्रदेश में आपदा की स्थिति, राहत, पुनर्वास और पुर्ननिर्माण से संबंधित कार्यों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आपदा मद में हुई धनराशि वृद्धि से क्षतिग्रस्त सम्पत्तियों, आवासीय भवनों, मूलभूत सेवाओं को सुचारू करने और वृहद योजनाओं को भी पुननिर्मित करने में मदद मिलेगी।

बैठक में उपाध्यक्ष उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन श्री विनय रोहिला, उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद् विश्वास डाबर, प्रमुख सचिव आर. के सुधांशु,, गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पाण्डेय, सचिव आर. राजेश कुमार, एस.एन.पाण्डेय, श्री रविनाथ रामन, डॉ पंकज कुमार पाण्डे, प्रमुख वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, बी.आर.ओ के अधिकारियों के साथ वर्चुअल माध्यम से सभी जिलाधिकारी उपस्थित थे।

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(Udaipur Kiran) / राजेश कुमार

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