भोपाल, 7 दिसंबर (Udaipur Kiran) । लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने कहा कि यह 6वीं रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव है। इसके माध्यम के निवेशकों के लिए सकारात्मक माहौल बना है, इनके माध्यम से निवेशकों को सरकार की ओर से आश्वासन मिल रहा है। उन्होंने कहा कि पहले जब उद्योगों की बात होती थी, तब बड़े शहरों की कल्पना की जाती थी और छोटे शहर कहीं गुम हो जाते थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने यह सोच बदली और कॉन्क्लेव के आयोजन के लिए नर्मदापुरम जैसे क्षेत्रीय स्थलों का चयन किया। इसके द्वारा यह तय हुआ है कि उद्योगों की स्थापना के लिए स्थान की चमक नहीं बल्कि वहां की संभावनाएं और अवसर जरूरी है। कॉन्क्लेव में हजारों करोड़ रुपये के भूमि-पूजन और शिलान्यास इन आयोजनों को सफल बना रहे हैं।
मंत्री राकेश सिंह शनिवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश में निवेश को बढ़ाने के उद्देश्य से नर्मदापुरम में आयोजित 6वीं रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इन कॉन्क्लेव में विस्तृत प्रेजेंटेशन से निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की जाती हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकसित भारत की कल्पना की है। हम विकसित मध्यप्रदेश की कल्पना करना चाहिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में निवेशकों को अवसर प्राप्त हो रहे हैं।
एमएसएमई क्षेत्र के विकास के लिये सरकार प्रतिबद्ध
एमएसएमई मंत्री चैतन्य काश्यप ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पदभार ग्रहण करने के बाद आरआईसी की उज्जैन से शुरुआत की थी, जो विभिन्न संभागों से होते हुए नर्मदापुरम पहुँच गई है। मध्यप्रदेश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के विकास के लिए राज्य सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। इस कॉन्क्लेव में 3000 से अधिक एमएसएमई प्रतिनिधियों ने भाग लिया जिससे इसकी सफलता सुनिश्चित हुई। उन्होंने कहा कि उद्यमियों को 30 दिन में सब्सिडी और अन्य लाभ प्रदान किए जा रहे हैं। इस वर्ष 850 से अधिक एमएसएमई यूनिट्स को स्वीकृति दी जा चुकी है, और 1200 नई यूनिट्स को स्वीकृति देने की प्रक्रिया चल रही है। मंत्री श्री काश्यप ने बताया कि नर्मदापुरम् आरआईसी में 48 जिलों में 367 करोड़ रुपये का अनुदान प्रदान किया गया है।
क्षेत्रीय उद्यमियों को प्रोत्साहित करना मुख्यमंत्री डॉ. यादव की प्राथमिकता : मुख्य सचिव जैन
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंवेस्टमेंट समिट की संपूर्ण अवधारणा को परिवर्तित करते हुए इसे एमएसएमई के योगदान पर केन्द्रित किया है। उनका विचार है कि प्रदेश के उद्यमियों को प्रोत्साहित करनें को प्राथमिकता दी जाए इससे क्षेत्रीय युवाओं की उद्यमिता की क्षमता को दिशा मिलेगी और स्थानीय निवासियों के लिए सभी जिलों में रोजगार के अवसर सृजित किये जा सकेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के इस विचार के परिणामस्वरूप ही प्रदेश में क्षेत्रीय स्तर पर औद्यगिक कॉन्क्लेव का क्रम आरंभ हुआ। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश निवेश के लिए देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य है। यहाँ की भौगोलिक स्थिती, जल, विद्युत तथा भूमि की उपलब्धता, सुशासन आधारित प्रशासकीय व्यवस्थाएं और शांति प्रिय वातावरण औद्योगिक गतिविधियों के विस्तार को अनुकूल आधार प्रदान करते हैं। प्रदेश में कौशल विकास, समन्वित नगर नियोजन को प्राथमिकता देते हुए मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क बनाने की दिशा में भी पहल की जा रही है।
निवेशक मध्यप्रदेश में बनें रौशनी का हिस्सा : एसीएस श्रीवास्तव
अपर मुख्य सचिव, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री मनु श्रीवास्तव ने निवेशकों और उद्योगपतियों से मध्यप्रदेश में रौशनी का हिस्सा बनने का आहवान किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के संकल्प को पूरा करने में अन्य राज्यों के साथ मध्य प्रदेश भी अपनी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। वर्तमान में प्रदेश मे 6 हजार मेगावॉट सौर ऊर्जा उत्पादित की जा रही है, जिसे बढ़ाकर 55 हजार मेगावॉट तक करने का लक्ष्य रखा गया है। मध्य प्रदेश के रीवा से उत्पादित सौर ऊर्जा से दिल्ली की मेट्रो भी चल रही है। इसी प्रकार नीमच में उत्पादित की जा रही सौर ऊर्जा से भारतीय रेल भी चल रही है। रेलवे लगभग 7 राज्यों में मध्य प्रदेश से सौर ऊर्जा ले रहा है। ओंकारेश्वर में मौजूद सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट मध्य प्रदेश को नया गौरव प्रदान करता है। प्रदेश, उत्तर प्रदेश के साथ 6-6 महीने की अवधि के लिये किसानों को बिजली उपलब्ध कराने के लिये सोलर प्रोजेक्ट लगा रहा है। यह अपने आप में अनोखा प्रोजेक्ट है। इसमें दोनों प्रदेशों के किसानों को अल्टरनेट 6-6 महीने बिजली उपलब्ध कराई जायेगी।
एसीएस श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में निवेशकों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ ही निवेशकों के जोखिम को कम करने के भी समुचित प्रयास किये जा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि शुक्रवार को सौर परियोजना नीमच के लिये हुई बिड में देश में अब तक के सबसे न्यूनतम दाम 2 रूपये 15 पैसे प्रति यूनिट प्राप्त हुए है। इससे हम जनता को कम दरों पर बिजली उपलब्ध करा सकेंगे।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में छोटे निवेशकों के लिये बेहतर अवसर मौजूद हैं। कुसुम(A) योजना में 2 मेगावॉट के सोलर प्लांट के लिये मात्र 2 एकड़ भूमि की आवश्यकता है और 7 से 8 करोड़ रुपये का निवेश कर अपना प्रोजेक्ट लगाया जा सकता है। इसी प्रकार कुसुम(C) योजना में 5 मेगावॉट के सोलर प्लांट के लिये 10 एकड़ भूमि पर 17 से 18 करोड़ रुपये खर्च कर प्रोजेक्ट लगाया जा सकता है। इन प्रोजेक्ट में छोटे-छोटे निवेशक निवेश के लिये आमंत्रित हैं।
आईटी और तकनीकी क्षेत्र में उभरता हुआ केन्द्र है मध्य प्रदेशः एसीएस दुबे
अपर मुख्य सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संजय दुबे ने रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव, नर्मदापुरम में विभाग की नीतियों एवं आईटी क्षेत्र में निवेश के बढते अवसरों के संबंध में कहा कि आने वाले समय में किसी क्षेत्र की प्रगति मेट्रो शहरों से नहीं बल्कि छोटे 2 टियर एवं 3 टियर शहरों से तय होगी। मध्यप्रदेश में ऐसे कई शहर है जहां आईटी/आईटीईएस एवं ईएसडीएम सेक्टर में निवेश की अपार संभावनाएं हैं। मध्य प्रदेश की आईटी नीति निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। राज्य में उन्नत तकनीकी तंत्र, उद्यमशीलता की संस्कृति है। राज्य सरकार औद्योगिक ईकाइयों को न्यूनतम हस्तक्षेप करते हुए सहायता प्रदान करती है। प्रदेश में अधोसंरचना और कनेक्टिविटी बेहतर है, यहां बडी संख्या में तकनीकी रूप से कुशल श्रमिक उपलब्ध है। प्रदेश में व्यवसाय स्थापित करने पर जोखिम कम है एवं ईज ऑफ लिविंग और वर्क लाईफ बैंलेस बेहतर है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में 2 हजार से अधिक आईटी/आईटीईएस एवं ईएसडीएम इकाइयां कार्यरत हैं, जिनमें एमपीएसईडीसी में पंजीकृत 650 इकाइयां हैं, जिन्हें राज्य की नीतियों का लाभ मिला है। इन इकाइयों का टर्न ओवर 10 हजार करोड़ रुपये प्रतिवर्ष से अधिक है। देश की 50 से अधिक बड़ी आईटी एवं आईटीईएस इकाइयां मध्यप्रदेश में स्थापित हैं। प्रदेश से हर वर्ष 500 मिलियन डॉ.लर का निर्यात आईटी से जुड़ी कंपनियों के माध्यम से होता है। राज्य में 5 आईटी स्पेशल इकोनॉमिक जोन हैं। राज्य सरकार द्वारा 15 आईटी पार्क बनाए गए हैं, जिनसे डेढ़ लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है।
(Udaipur Kiran) तोमर