Assam

न्यायालय भवन के उद्घाटन में शामिल हुए मुख्यमंत्री

न्यायालय भवन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्व सरमा की तस्वीर।

गुवाहाटी, 01 दिसंबर (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा और गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विजय बिश्नोई ने आज कछार जिले के लखीपुर में उप-विभागीय न्यायिक मजिस्ट्रेट (एम) न्यायालय भवन का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि न्यायालय भवन के उद्घाटन से न केवल लखीपुर और कछार जिले में न्यायपालिका की कार्यकुशलता बढ़ेगी, बल्कि बराक घाटी में लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि अब लखीपुर को सह-जिला के रूप में मान्यता मिल गई है, इसलिए इस नए न्यायिक भवन से क्षेत्र में न्यायपालिका के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी से पहले बराक घाटी के हृदयस्थल कछार जिले का न्यायिक प्रशासन सिलहट सदर कोर्ट के अधीन था, जबकि सिलचर में एक सर्किट कोर्ट संचालित होता था। हालांकि, आजादी के बाद अविभाजित कछार जिला जोरहाट जिले और सदर जज के अधिकार क्षेत्र में आ गया। डॉ. सरमा ने कहा कि जिले की कानूनी जरूरतों को पूरा करने और इसके न्यायिक ढांचे का विस्तार करने के लिए 1955 में कछार के लिए जिला जज का एक अलग और स्वतंत्र पद बनाया गया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की न्यायिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए वर्तमान राज्य सरकार ने कई महत्वपूर्ण पहल की हैं। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, राज्य में न्यायिक बुनियादी ढांचे ने हाल के वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति देखी है। सक्रिय कदमों पर प्रकाश डालते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने बरपेटा और शिवसागर जिलों में नए जिला न्यायिक न्यायालय भवनों का निर्माण और उद्घाटन किया है। इसी तरह, 23 नवंबर को गोलाघाट जिले के अंतर्गत बोकाखात में सब डिवीजनल न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट भवन का भी उद्घाटन किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि ये नए न्यायालय भवन, न्यायाधीशों के लिए कोर्ट रूम और चैंबर के अलावा, पुस्तकालय, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम, विभिन्न कार्यालय स्थान, एक कमजोर गवाह बयान केंद्र, ध्यान कक्ष और सीसीटीवी नियंत्रण कक्ष जैसी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित हैं।

इसके अलावा, धुबड़ी, ग्वालपाड़ा, तिनसुकिया और गोहपुर में कोर्ट कॉम्प्लेक्स और आवासीय क्वार्टरों का निर्माण तेजी से चल रहा है। ग्वालपाड़ा और दरंग जिलों में कोर्ट कॉम्प्लेक्स का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है। जल्द ही, कार्बी आंगलोंग के डिफू में बन रहे कोर्ट कॉम्प्लेक्स का भी उद्घाटन किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इसके अलावा, दक्षिण सलमारा-मनकाचर, बजाली, बिश्वनाथ, माजुली और पश्चिम कार्बी आंगलोंग के नवगठित जिलों में जिला न्यायिक प्रणाली स्थापित की गई है।

मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘न्याय में सुगमता’ के विजन को साकार करने के लिए सभी कदम उठा रही है। न्यायपालिका को आम लोगों के करीब लाने के लिए राज्य सरकार ने न्याय को और सुलभ बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को यौन शोषण से बचाने और बाल विवाह से संबंधित मामलों का त्वरित समाधान सुनिश्चित करने के लिए 17 जिलों में पोक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अदालतें स्थापित की गई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नगांव जिले में ऐसी दो अदालतें स्थापित की गई हैं। राज्य के आर्थिक विकास के साथ ही वाणिज्यिक विवादों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। इसलिए गुवाहाटी में एक समर्पित वाणिज्यिक न्यायालय स्थापित करने की योजना बनाई गई है। उन्होंने कहा कि इसी तरह एक विशेष एनडीपीएस (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस) अदालत की भी योजना बनाई जा रही है। राज्य में अभियोजन निदेशालय स्थापित करने के भी प्रयास चल रहे हैं, जो अभियोजन से संबंधित सभी प्रशासनिक कार्यों के नियंत्रण प्राधिकरण के रूप में कार्य करेगा।

डॉ. सरमा ने यह भी कहा कि अदालतों में लंबित मामलों की संख्या कम करने और कैदियों की संख्या कम करने के लिए राज्य सरकार ने छोटे-मोटे मामलों को वापस लेने के उपाय लागू किए हैं। इस पहल के तहत इस साल मार्च तक करीब 81,000 छोटे-मोटे मामले वापस लिए गए। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि गवाहों के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षित बयान केंद्र स्थापित किए गए हैं और इनमें से कई केंद्र पहले से ही चालू हैं। राज्य सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों पर प्रकाश डालते हुए डॉ. सरमा ने कहा कि संकटग्रस्त महिलाओं को सस्ती कानूनी जानकारी और आपातकालीन सहायता प्रदान करने के लिए ई-सेवा केंद्र और मोबाइल ऐप बोरशा शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि कानूनी बिरादरी की जिम्मेदारी है कि वे महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों से जुड़े मामलों में मुकदमे में देरी करने के लिए खामियों का इस्तेमाल न करें।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के निर्णायक नेतृत्व में भारत ने औपनिवेशिक काल की भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) को लाकर अपने कानूनी ढांचे में क्रांतिकारी बदलाव की शुरुआत की है। इस नए कानूनी ढांचे ने एक अधिक कुशल और प्रौद्योगिकी-संचालित न्यायिक प्रक्रिया की सुविधा प्रदान की है, जिससे न्याय प्रदान करना आसान हो गया है और न्यायिक प्रणाली पर अत्यधिक मामलों का बोझ कम हो गया है। उन्होंने कहा कि ये परिवर्तन आपराधिक न्याय प्रणाली के परिवर्तन को उजागर करते हैं, जो कानूनी ढांचे को नई ऊंचाइयों पर ले जाते हैं।

डॉ. सरमा ने यह भी कहा कि भारतीय सांख्यिकी अधिनियम ने अब साक्ष्यों के संकलन के लिए वैज्ञानिक तरीकों के इस्तेमाल पर विशेष जोर दिया है। इसके परिणामस्वरूप, आने वाले दिनों में जांच प्रक्रिया में फोरेंसिक विशेषज्ञों की भूमिका काफी बढ़ जाएगी। इसकी सहायता के लिए, गुवाहाटी में राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय परिसर का निर्माण शुरू हो चुका है। डॉ. सरमा ने कहा कि विश्वविद्यालय जांच अधिकारियों को उन्नत प्रशिक्षण के अवसर प्रदान करेगा, जिससे आपराधिक जांच के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि इसके अतिरिक्त, नए आपराधिक कानूनों पर पुलिस अधिकारियों के प्रशिक्षण के साथ-साथ कानून प्रवर्तन और जांच में सूचना प्रौद्योगिकी के उचित उपयोग पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

गौरतलब है कि नए न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट भवन का निर्माण 37.8 करोड़ रुपये की वित्तीय लागत से किया गया है। इस अवसर पर गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विजय बिश्नोई, न्यायमूर्ति सुमन श्याम, न्यायमूर्ति कल्याण राय सुराणा, विधायक कौशिक राय, दिपयान चक्रवर्ती, कमलाक्ष डे पुरकायस्थ, बिजय मालाकार, कृष्णेंदु पॉल, निहार रंगजन दास और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश

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