
प्रयागराज, 06 मार्च (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों के रिक्त पद भरने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई से मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली ने खुद को अलग कर लिया।
जजों के रिक्त 81 पद समयबद्ध तरीके से शीघ्र भरने का निर्देश देने की मांग में दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई अब दूसरी बेंच करेगी। वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश त्रिवेदी की ओर से दाखिल जनहित याचिका में कहा गया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों के स्वीकृत 160 पद से आधे से भी कम न्यायाधीश के होने के कारण 11 लाख से अधिक मामले लम्बित हैं। इससे वादकारियों को समय से न्याय नहीं मिल पा रहा है। याची के अधिवक्ता शाश्वत आनंद, सैयद अहमद फैजान और सौमित्र आनंद का कहना है कि राज्य की 24 करोड़ की आबादी है। ऐसे में हर 30 लाख लोगों के लिए केवल एक जज हैं। लगभग 11 लाख लम्बित मामले हैं। ऐसे में एक न्यायाधीश औसतन 14,623 लम्बित मामलों की सुनवाई कर रहे हैं।
कहा गया है कि जजों की कमी से न्यायपालिका प्रभावी रूप से काम नहीं कर पा रही है और लम्बित मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इससे वादकारियों को अपने मामलों की सुनवाई के लिए अंतहीन प्रतीक्षा करनी पड़ रही है। साथ ही न्यायाधीशों को भी लम्बित मुकदमों के बोझ के कारण परेशानी उठानी पड़ती है।
जनहित याचिका में यह भी सुझाव दिया गया है कि जजों के रिक्त पदों को पहले शीघ्रता से भरा जाए। उसके बाद अनुच्छेद 224 ए (हाईकोर्ट की बैठकों में रिटायर जजों की नियुक्ति) के प्रावधान के तहत लम्बित मामलों के निस्तारण के लिए रिटायर जजों की भर्ती की जानी चाहिए।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
