Uttar Pradesh

युवाओं की जवानी को दिशा प्रदान करने का उत्कृष्ट अवसर : चिदानंद सरस्वती

स्वयंसेवकों को संबोधित करते चिदानंद सरस्वती

प्रयागराज, 12 जनवरी (हि स)। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आज मानवतावादी चिंतक स्वामी विवेकानन्द की जयंती पर उन्हें भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि स्वामी विवेकानन्द उत्थान और निर्माण के सूत्रधार हैं। युवा अपने मूल, मूल्य और संस्कृति से जुड़कर ही अपनी भारतीय संस्कृति के पुनर्निर्माण और उत्थान के सहभागी हो सकते हैं।

वह स्वामी विवेकानन्द की जयंती और राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर अरैल घाट में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नैनी भाग की ओर से आयोजित शाखा संगम में उपस्थित स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे थे।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने सोच को बढ़ाने का संदेश देते हुये कहा कि सोच को बदलेंगे और सब को बदलेंगे। न कटेंगे न काटेंगे, बटेंगे न बाटेंगे, न लड़ेंगे न लडायेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्र नहीं तो हमारा अस्तित्व नहीं। अब समय आ गया कि हम भारत को भारत के चश्में से देखें, भारत को ऐनक से देखें, और भारत को भारत के एंगल से देंखे अर्थात हमें अपने देश के बारे में बाहरी दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि भारतीय दृष्टिकोण से सोचना और देखना होगा।19 वीं सदी में आज के ही दिन अध्यात्म जगत के शिरोमणि का भारत में उदय हुआ था। वे एक ऐसे चिंतक थे जिन्होंने भारत के गौरव, भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक चिंतन को सात समन्दर पार तक पहुंचाया। शिकागो में आयोजित ‘विश्व धर्म महासभा’ में स्वामी विवेकानन्द ने हिंदू धर्म की सहिष्णुता तथा सार्वभौमिकता और वसुधैव कुटुम्बकम् के स्वरूप को व्यक्त कर पूरे विश्व को दिखा दिया कि केसरी रंग केवल दिखता ही नहीं है बल्कि इसमें हमारे देश की गरिमा, त्याग और हमारा साहस भी समाहित है।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर युवाओं का आह्वान करते हुये कहा कि समस्याओं और चुनौतियों से ’भागो नहीं बल्कि जागो’, उनका सामना करो और आगे बढ़ो। युवा अपने कार्यों के प्रति लगनशील, निष्ठावान, कर्तव्यनिष्ठ और ऊर्जावान बनें, समय का उपयोग करें, अवसराें को पहचाने, एजूकेटेड, अपडेटेड और अपलिफ्टेड भी बने तथा अपना आध्यात्मिक और सांस्कृतिक (स्पिरिचुअल व कल्चर) पक्ष मजबूत रखें।

इस अवसर पर सह विभाग प्रचारक, प्रयाग विभाग शिवबंधु ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ व्यक्ति, समाज और राष्ट्र को मजबूत करने की उत्कृष्ट शाखा है। हम सभी को मिलकर गुरू जी से लेकर आज तक की जो भी परम्परा है उसे मजबूत करने के लिये मिलकर कार्य करना होगा।परमार्थ निकेतन शिविर से अरैल घाट तक सनातन के नाद, शंख ध्वनि और जय घोष के साथ रैली निकाली।

—————

(Udaipur Kiran) / बृजनंदन

Most Popular

To Top