



रामगढ़, 8 नवंबर (Udaipur Kiran) । लोक आस्था का महापर्व छठ उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हुआ। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को व्रतियों ने सुबह 06 बजकर 32 मिनट पर उदीयमान सूर्यदेव को अर्घ्य दिया। इस दौरान व्रतियों ने धन, धान्य और आरोग्य की कामना की। अर्घ्य देने के बाद व्रतियों ने पारण कर निर्जला उपवास को पूरा किया।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्य की प्राप्ति, सौभाग्य और संतान के लिए रखा जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार, राजा प्रियव्रत ने भी छठ व्रत रखा था। उन्हें कुष्ट रोग हो गया था। व्रतियों ने भगवान भास्कर की आराधना की और सादगी, संयम, संकल्प और समर्पण का प्रतीक यह महापर्व हर किसी के जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य लेकर आए।
—————
(Udaipur Kiran) / अमितेश प्रकाश
