—शहर भर में निकला अमारी, दुलदुल, अलम व ताज़िए का जुलूस
वाराणसी, 26 अगस्त (Udaipur Kiran) । नगर में शिया समुदाय ने सोमवार को इमाम हुसैन और उनके 71 शहीद साथियों का चेहल्लुम(चालीसवां)मनाया। सड़कों पर मातमी दस्तों का हुजूम दोपहर से ही उमड़ पड़ा। दोपहर से देर शाम तक जुलूसों का सिलसिला जारी रहा। दरगाह फातमान, सदर इमामबाड़ा व शिवाला घाट पर जुलूस ठंडे किये गए।
अंजुमन इमामिया के संयोजन में चेहल्लुम का जुलुस का आगाज़ अर्दली बाजार में मौलाना गुलज़ार मौलाई की तकरीर से हुआ । वहीं मजलिस अलम, ताबूत, दुलदुल व हज़रत अली असगर का झूला उठाया गया। इस मौके पर अमारी की अकीदतमंदों ने नम आंखों से जियारत कर कर्बला के शहीदों को याद किया। जुलूस अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ उल्फत बीबी हाता, सब्जी मंडी, डिठोरी महाल होते हुए पुनः उल्फत बीबी कम्पाउंड में आकर समाप्त हुआ। मौलाना बाकर रजा बलियावी की निजामत में निकले जुलूस में जफर अब्बास रिज़वी, हाजी एसएम जाफर, दिलकश रिज़वी, फसाहत हुसैन बाबू, इरशाद हुसैन, हसन मेंहदी कब्बन, सुजात हुसैन, रियासत हुसैन, विक्की जाफरी, रोमान हुसैन, राहिल नक़वी, सबील हैदर, गुलरेज़ टाइगर, अलमदार हुसैन, अमन मेहदी, ताबिर, नज़फ हैपी व्यवस्था संभाले हुए थे। जुलूस अर्दली बाज़ार मुख्य सड़क पर पहुंचने पर मौलाना ने तकरीर करते हुए कहा कि हुसैन किसी एक मज़हब का नाम नहीं है बल्कि हुसैन पूरी कायनात के लिए आए और पूरी कायनात को दिखा दिया कि अगर इंसानियत और हक की बात आए तो अपनी जान की भी परवाह मत करना। जुलूस के साथ-साथ शहर की मशहूर अंजुमन अंसारे हुसैनी रजिस्टर्ड, अंजुमन जादे आखिरत, अंजुमन सदाये अब्बास, अंजुमन हुसैनिया, अंजुमन अंसारे हुसैनिया अवामी, अंजुमन पैगामें हुसैनी के अलावा अन्य अंजुमन नौहाख्वानी व मातम करते हुए चल रही थी। क्षेत्रीय पार्षद व सभी वर्ग के लोग जुलूस में शामिल हुए। दोषीपुरा स्थित इमामबारादरी के निकट से अलम, ताजिया व दुलदुल का जुलूस अंजुमन अजादारे हुसैनी के संयोजन में उठाया गया।कालीमहाल शिया मस्जिद हंकारटोला से मातमी अंजुमन जव्वादिया रजिस्टर्ड की ओर से अलम, ताबूत का जुलूस निकला। मदनपुरा से अहले सुन्नत ने ताजिया का जुलूस निकाला। पारंपरिक रास्ते से होता हुआ जुलूस दरगाह फातमान पहुंचकर समाप्त हुआ। इस प्रकार नगर में दर्जनों जुलूस निकले सभी जुलूस में पुलिस की विशेष व्यवस्था थी। शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता हाजी सैय्यद फरमान हैदर ने बताया कि इमाम हुसैन की शहादत को 1385 वर्ष हो गए लेकिन आज भी शहादत का गम ताजा बिलकुल ताजा है। चेहल्लुम पर महिलाओं की मजलिस भी कई स्थानों पर हुई।
(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी / आकाश कुमार राय