– रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिकी यात्रा में उठाया था एफ-404 इंजन में देरी का मुद्दा- भारत को नवंबर से अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक शुरू करेगी इंजन की आपूर्ति
(नोट- डेटलाइन में 13 की जगह 15 सितंबर किया गया है)
नई दिल्ली, 15 सितम्बर (Udaipur Kiran) । लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस एमके-1ए पर इजरायली सॉफ्टवेयर का परीक्षण पूरा हो गया है। अब अंतिम परीक्षण के बाद अक्टूबर के अंत तक भारतीय वायु सेना को पहला तेजस एमके-1ए मिलने का रास्ता साफ हो गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में अपनी वाशिंगटन यात्रा के दौरान तेजस एमके-1ए में लगने वाले इंजन की आपूर्ति में देरी का मुद्दा उठाया था। सहमति बनने के बाद इंजन निर्माता कंपनी ने कार्यक्रम संशोधित किया है, जिसके मुताबिक भारत को नवंबर से नए जनरल इलेक्ट्रिक एफ-404 इंजन मिलने लगेंगे।
भारतीय वायु सेना के साथ फरवरी, 2021 में अनुबंध होने के बाद हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को इसी साल मार्च से नए विमान की आपूर्ति होनी थी। हालांकि, विमान ने पहली उड़ान मार्च में भरी थी, जिसके बाद वायु सेना को सौंपे जाने से पहले कई परीक्षण किये गए हैं और कई अभी बाकी हैं। सॉफ्टवेयर में बदलाव की मांग वायु सेना ने ही की थी, जिसके चलते विमान की डिलीवरी में कम से कम चार महीने की देरी हुई है। पहला तेजस विमान बी श्रेणी के इंजन के साथ दिया जाएगा। यह इंजन तेजस विमानों के लिए अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) के साथ सौदे के पहले हिस्से के रूप में भारत को मिला था।
वायु सेना के एक अधिकारी ने बताया कि सॉफ्टवेयर में बदलाव का काम पूरा हो चुका है और पहला विमान अक्टूबर के अंत तक डिलीवर हो जाएगा। सॉफ्टवेयर में अपग्रेड के चलते वायु सेना को समय पर विमान की आपूर्ति को लेकर आशंकाएं थीं। जब 1983 में एलसीए कार्यक्रम शुरू किया गया था, तब 1994 तक पहले विमान की आपूर्ति करने की योजना थी। दिसंबर 2013 में तेजस को शुरुआती परिचालन मंजूरी मिली और 2019 में वायु सेना को अंतिम मंजूरी के साथ पहला विमान दिया गया। यानी परियोजना शुरू होने के 18 साल बाद 2001 में प्रोटोटाइप विमान उड़ान भर पाया। यह वायु सेना के ऑर्डर किए गए 40 विमानों में से एक था, जिनमें से चार की डिलीवरी अभी बाकी है।
लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस एमके-1ए के इस समय हथियारों के परीक्षण चल रहे हैं। श्रीनगर स्थित वायु सेना की 51 नंबर स्क्वाड्रन (स्वॉर्ड आर्म्स) को इन विमानों का ठिकाना बनाया गया है। वायु सेना की पश्चिमी कमान के अधीन इसी स्क्वाड्रन से 2019 में सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान लड़ाकू विमानों को पाकिस्तानी विमानों की घुसपैठ को रोकने के लिए तैनात किया गया था। अभी तक यह स्क्वाड्रन मिग विमानों का ठिकाना है, जिन्हें तेजस की आपूर्ति शुरू होने के बाद सेवा से विदाई दी जानी है।
एचएएल के मुताबिक तेजस एमके-1ए में डिजिटल रडार चेतावनी रिसीवर, एक बाहरी ईसीएम पॉड, एक आत्म-सुरक्षा जैमर, एईएसए रडार, रखरखाव में आसानी और एवियोनिक्स, वायुगतिकी, रडार में सुधार किया गया है। इसमें उन्नत शॉर्ट रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (एएसआरएएएम) और एस्ट्रा एमके-1 एयर टू एयर मिसाइल लगाईं जाएंगी। तेजस एमके-1 ए के 20 विमान प्रति वर्ष वायुसेना को मिलेंगे। तेजस एमके-1ए की आपूर्ति 2024 से शुरू होगी और 2027 तक पूरे 83 विमान वायुसेना को मिल जाएंगे। इनमें 73 लड़ाकू विमान और 10 ट्रेनर विमान होंगे। एलसीए तेजस एमके-1ए संस्करण में फिलहाल स्वदेशी सामग्री 50% है जिसे 60% तक बढ़ाया जाएगा। ———————-
(Udaipur Kiran)