
जम्मू, 10 अप्रैल (Udaipur Kiran) । सनातन धर्म में चैत्र पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को चैत्र पूर्णिमा कहा जाता है। इस वर्ष यह तिथि 12 अप्रैल, शनिवार को मनाई जाएगी।
महंत शास्त्री ने बताया कि पूर्णिमा तिथि का आरंभ 12 अप्रैल को प्रातः 3:22 बजे से हो रहा है, जो कि 13 अप्रैल रविवार को प्रातः 5:52 बजे तक रहेगा। अतः दिवा एवं रात्रि व्रत 12 अप्रैल को ही किया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु के स्वरूप श्री सत्यनारायण जी का पूजन एवं कथा श्रवण अथवा पाठ करना अत्यंत शुभफलदायी होता है। साथ ही, भगवान श्री गणेश, माता पार्वती, भगवान शिव एवं चंद्रदेव की पूजा का भी विशेष महत्व होता है।
चैत्र पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों एवं सरोवरों में स्नान करने की परंपरा है। यदि किसी कारणवश बाहर स्नान करना संभव न हो तो घर में जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इस दिन अपने सामर्थ्य अनुसार जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करें। ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
महंत शास्त्री ने यह भी कहा कि शास्त्रों के अनुसार इस दिन तामसिक वस्तुओं का त्याग करना चाहिए, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए तथा नशे से दूर रहना चाहिए। इस दिन सात्विक आहार का सेवन करना अत्यंत आवश्यक है। साथ ही इस दिन श्री हनुमान जयंती भी मनाई जाती है।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
