जम्मू, 20 सितंबर (Udaipur Kiran) । जम्मू केन्द्रीय विश्वविद्यालय के शैक्षिक अध्ययन विभाग ने कुलपति प्रो. संजीव जैन के संरक्षण और विभागाध्यक्ष प्रो. असित मंत्री के व्यावहारिक मार्गदर्शन में स्वामी विवेकानंद युवा संसद के हिस्से के रूप में वाद-विवाद सह चर्चा गतिविधि के दूसरे सत्र का आयोजन किया। मालवीय शिक्षा भवन में आयोजित इस कार्यक्रम का समन्वय डॉ. अरविंद ने किया और इसमें जम्मू और कश्मीर राज्य चुनाव: आशा और लोकतंत्र की संभावनाओं को मजबूत करना विषय पर बौद्धिक रूप से उत्तेजक चर्चा हुई।
इस सत्र में एकलव्य, रश्मि, आलोक, प्रज्ञा, रितिक और तालिब सहित छात्रों की सक्रिय भागीदारी देखी गई जिन्होंने गहन और व्यावहारिक चर्चा की। चर्चा जम्मू और कश्मीर में राजनीतिक स्थिरता बहाल करने, शासन सुनिश्चित करने और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने में चुनावों की महत्वपूर्ण भूमिका के इर्द-गिर्द घूमती रही जो अक्सर राष्ट्रीय ध्यान के केंद्र में रहता है।
वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि चुनाव जम्मू-कश्मीर जैसे संघर्ष-संवेदनशील राज्य में लोकतांत्रिक उम्मीद को बढ़ावा देने के लिए आधारशिला का काम करते हैं जहाँ क्षेत्रीय आकांक्षाओं को पूरा करने और शांति को बढ़ावा देने के लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व महत्वपूर्ण है। उन्होंने चर्चा की कि कैसे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव नागरिकों में सशक्तिकरण की भावना पैदा कर सकते हैं और लोकतांत्रिक संस्थाओं में विश्वास बढ़ा सकते हैं। प्रतिभागियों ने तर्कपूर्ण दृष्टिकोणों के माध्यम से जम्मू-कश्मीर में चुनावी प्रक्रिया के सामने आने वाली चुनौतियों का विश्लेषण किया जिसमें तार्किक चिंताओं से लेकर राजनीतिक जटिलताएँ शामिल थीं। उन्होंने चुनावों को अधिक समावेशी और प्रतिनिधि बनाने के लिए संभावित समाधान भी पेश किए।
सत्र का समापन शानदार तरीके से हुआ जिसमें प्रतिभागियों ने सर्वसम्मति से सहमति व्यक्त की कि लोकतांत्रिक चुनाव क्षेत्र में दीर्घकालिक शांति, विकास और आशा सुनिश्चित करने की कुंजी हैं। केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू के शैक्षणिक नेतृत्व के साथ छात्रों के योगदान ने इस कार्यक्रम को रचनात्मक राजनीतिक संवाद के लिए एक सार्थक मंच बना दिया।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा