नई दिल्ली, 07 नवंबर (Udaipur Kiran) । भारत सरकार ने नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) योजना के तहत सेंटर ऑफ एक्सिलेंस (सीओई) स्थापित करने के लिए प्रस्ताव (सीएफपी) आमंत्रित किए हैं। भारत में ग्रीन हाइड्रोजन के लिए विश्वस्तरीय उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना का उद्देश्य दीर्धावधि के लिए नवाचार, स्थिरता और ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है। ये सेंटर ऑफ एक्सिलेंस ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन, भंडारण और उपयोग प्रौद्योगिकियों के माध्यम से कम कार्बन उत्सर्जन वाली अर्थव्यवस्था को गति देने में सहायक होंगे।
ये केंद्र अत्याधुनिक शोध, कौशल विकास और ज्ञान प्रसार के लिए केंद्र बिंदु के रूप में कार्य करेंगे। ये केंद्र ग्रीन हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों में नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए उद्योग, शिक्षा जगत और सरकार सहित हितधारकों के बीच सहयोग को भी सुगम बनाएंगे, जिससे प्रक्रिया दक्षता में सुधार होगा और नए उत्पाद विकसित किए जा सकेंगे। ये केंद्र देश में संपूर्ण ग्रीन हाइड्रोजन इको सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए विशेषज्ञता और संसाधनों का लाभ उठाएंगे।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने इसके पहले 15 मार्च 2024 को नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत अनुसंधान एवं विकास योजना के कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों सहित सार्वजनिक और निजी संस्थाएं इस सीएफपी के तहत प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए साझेदारी करेंगी। सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत ऐसे केंद्र स्थापित करने के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन 04 जनवरी 2023 को शुरू किया गया था, जिसपर 2029-30 तक 19,744 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। यह स्वच्छ ऊर्जा के माध्यम से भारत के आत्मनिर्भर बनने के लक्ष्य में योगदान देगा और वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा के लिए प्रेरक के रूप में काम करेगा। इस मिशन से अर्थव्यवस्था में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा और जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता भी कम होगी। नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन भारत को ग्रीन हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र का नेतृत्व करने में सक्षम बनाएगा।
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(Udaipur Kiran) / योगिता पाठक