–29 अक्टूबर को धनतेरस से शुरू होकर से 3 नवम्बर भाई दूज तक चलेगा पंच दिवसीय महोत्सव
प्रयागराज, 25 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । पंच दिवसीय महापर्व दीपावली का शुभारम्भ धनतेरस से शुरू होकर भैया दूज के दिन सम्पन्न होता है। पांच दिनों के इस महापर्व में हर दिन विशेष महत्व है। पंचदिवसीय महापर्व के पहले दिन धनतेरस, दूसरे दिन छोटी दिवाली, तीसरे दिन दीपवाली, चौथे दिन अन्नकूट व गोवर्धन पूजा और पांचवे दिन भैया दूज का पर्व मनाया जाता है।
झूंसी स्थित परमानंद आश्रम में श्री स्वामी नरोत्तमानन्द गिरि वेद विद्यालय के प्राचार्य व वेद शास्त्र के जानकार ब्रजमोहन पाण्डेय ने पंच दिवासीय पर्व को मनाने की तिथि शुभ मुहूर्त आदि के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि इस वर्ष दीपावली की सही तिथि को लेकर लोगों में भ्रम हो रहा है। कोई 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने की बात कर रहा है तो कोई 1 नवम्बर बता रहा है। इस सम्बंध में वैदिक विद्वानों ने बताया कि पंचांग व तिथि के अनुसार इस वर्ष 29 अक्टूबर को धनतेरस, 30 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी एवं हनुमत्जन्मोत्सव, 31 अक्टूबर को दीपावली, 2 नवम्बर को अन्नकूट गोवर्धन पूजा एवं 3 नवम्बर को भातृ द्वितीया (भैया दूज) मनाना शास्त्र सम्मत है।
इस वर्ष दीपावली पूजन उत्सव 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा। दीपावली के लिए प्रदोष काल में अमावस्या होना तथा मध्य रात्रि निशीथ काल में अमावस्या होना आवश्यक है। क्योंकि प्रदोष काल में ही लक्ष्मी जी, इन्द्र एवं कुबेर के पूजन का विधान है तथा अर्ध रात्रि निशीथ काल में काली का पूजन आवश्यक है (जो दीपावली पूजन का अंग है) और 31 अक्टूबर गुरुवार को यह सभी योग प्राप्त हैं। अतः इसी दिन दीपावली पूजन करना चाहिए।
दूसरी बात, 1 नवम्बर शुक्रवार को प्रदोष काल में तो अमावस्या प्राप्त हो रही है परन्तु अर्ध रात्रि में अमावस्या नहीं होने के कारण दीपावली का अंग काली पूजन नहीं हो पा रहा है। अतः 1 नवम्बर को दीपावली पूजन अंगहीन होने के कारण, उक्त दिवस उपयुक्त नहीं है। इसलिए सभी के लिए दीपावली पूजन 31 अक्टूबर को ही मनाना शास्त्र सम्मत है।
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र