West Bengal

सीबीआई करेगी कलकत्ता हाईकोर्ट का रुख, आरजी कर मामले में संजय रॉय के लिए मांगेगी फांसी की सजा

आरजी कर अस्पताल में फिर पहुंचे सीबीआई अधिकारी (RG Kar)

कोलकाता, 22 जनवरी (Udaipur Kiran) । केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जल्द ही कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर कर, आर.जी. कर मामले के दोषी संजय रॉय के लिए फांसी की सजा की मांग करेगी। सीबीआई दो दिनों के भीतर इस मामले में आवेदन करेगी।

यह कदम पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा मंगलवार को हाईकोर्ट में फांसी की सजा की मांग के बाद उठाया गया है। इस मामले में कोलकाता की सत्र अदालत ने रॉय को बलात्कार और हत्या का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। राज्य सरकार के एडवोकेट जनरल किशोर दत्ता ने इस मामले में डिवीजन बेंच का रुख किया, जिसे कोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है।

मालदा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, मैं आर.जी. कर मामले के दोषी के लिए फांसी की सजा की मांग करती हूं। अगर कोई व्यक्ति इतना दानवी और बर्बर हो सकता है, तो समाज कैसे मानवता को बनाए रखेगा? हमने ‘अपराजिता बिल’ पास किया है, लेकिन केंद्र इसे लागू करने में देरी कर रहा है।

सत्र अदालत ने मामले को दुर्लभतम में दुर्लभ नहीं मानते हुए फांसी की सजा देने से इनकार कर दिया। इस फैसले पर ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपनी नाराजगी जताते हुए लिखा कि मैं अदालत के इस फैसले से हैरान हूं। यह कैसे दुर्लभतम में दुर्लभ मामला नहीं है? मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं कि यह मामला फांसी की सजा का हकदार है। अब हम हाईकोर्ट में दोषी के लिए फांसी की मांग करेंगे।

पीड़िता की मां ने भी फैसले पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि हम हैरान हैं। यह कैसे दुर्लभतम में दुर्लभ नहीं है? एक ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या हुई। यह एक बड़ी साजिश का हिस्सा था।

सीबीआई के वकील ने अदालत में दलील दी कि यह अपराध दुर्लभतम में दुर्लभ श्रेणी का है और न्याय प्रणाली में जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए दोषी को फांसी की सजा मिलनी चाहिए। हालांकि, बचाव पक्ष ने कहा कि अभियोजन पक्ष दोषी के असुधार्य स्वभाव को साबित करने में विफल रहा।

सत्र अदालत ने संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और पीड़ित परिवार को 17 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। हालांकि, अदालत ने दुर्लभतम में दुर्लभ सिद्धांत के तहत पर्याप्त आधार नहीं मिलने के कारण फांसी की सजा से इनकार कर दिया।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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