-हाईकोर्ट ने मेरठ की युवती की अमेरिका में हुई मौत की जांच का सीबीआई को दिया आदेश
प्रयागराज, 08 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक निर्णय में कहा है कि किसी भारतीय नागरिक द्वारा विदेश में किए गए अपराध की जांच के लिए सीबीआई को राज्य सरकारों से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है। विदेश में किए गए अपराध की जांच के लिए सीबीआई नोडल एजेंसी है और उसे जांच के लिए सिर्फ केंद्र सरकार के अनुमति की आवश्यकता होती है।
इसी के साथ कोर्ट ने मेरठ की युवती की अमेरिका में हुई संदिग्ध मौत की जांच करने का सीबीआई को निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति वीके बिड़ला एवं न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने मेरठ की कल्पना माहेश्वरी की याचिका पर दिया है।
याची का कहना था कि उसकी पुत्री अंशु माहेश्वरी की शादी सुमित बियानी से हुई थी। शादी के बाद दोनों अमेरिका चले गए, जहां अंशु की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। याची ने दहेज हत्या की आशंका जताते हुए 28 सितम्बर 2023 को मेरठ में एफआईआर दर्ज कराई। मेरठ पुलिस ने मामले को जांच के लिए सीबीआई को रेफर कर दिया लेकिन सीबीआई ने इसमें कुछ नहीं किया।
सीबीआई के अधिवक्ता का कहना था कि एफआईआर उत्तर प्रदेश में दर्ज़ है और मृतका यहीं की रहने वाली थी। इसलिए सीबीआई को जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति आवश्यक है। वरिष्ठ अधिवक्ता का तर्क था कि सीआरपीसी की धारा 188 के तहत विदेश में किए गए अपराध की जांच के लिए सीबीआई को सिर्फ केंद्र सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती है।
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली स्पेशल पुलिस स्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत विदेश में रह रहे भारतीय नागरिक द्वारा किए गए अपराध की जांच के लिए सीबीआई को सिर्फ केंद्र सरकार की अनुमति की आवश्यकता है। कोर्ट ने मई 2016 में डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग की अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा कि विदेशों में किए गए अपराध की जांच के लिए सीबीआई को नोडल एजेंसी बनाया गया है। इसका अर्थ है कि भारत से बाहर किए गए अपराध की जांच सिर्फ सीबीआई कर सकती है।
सीआरपीसी की धारा 188 में प्रावधान है कि भारत के बाहर किए गए अपराध की जांच और ट्रायल देश में केंद्र सरकार की अनुमति से हो सकता है। कोर्ट ने सीबीआई की दलील को खारिज करते हुए उसे अंशु माहेश्वरी की मौत की जांच करने का निर्देश दिया। हालांकि इससे पूर्व कोर्ट को बताया गया कि राज्य सरकार ने भी सीबीआई को जांच की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने फैसले की कॉपी मिलने के 15 दिन के भीतर सीबीआई को प्रकरण की जांच शुरू करने का निर्देश दिया है।
—————
(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे