रांची, 18 जुलाई (Udaipur Kiran) । झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य में एमपी-एमएलए के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले के त्वरित निष्पादन में देरी पर सीबीआई और राज्य सरकार को ट्रायल जल्द पूरा करवाने की सख्त हिदायत दी है। गुरुवार काे कोर्ट ने मौखिक कहा कि एमपी-एमएलए के अपराधिक मामले को जल्द क्यों नहीं निपटाया जा रहा है। कुछ मामलों में गवाही की प्रक्रिया काफी धीमी है, गवाहों को जल्द लाकर ट्रायल प्रक्रिया पूरी की जानी चाहिए, ताकि जल्द से जल्द जजमेंट हो सके। ट्रायल में देरी से गवाहों पर भी असर पड़ता है।
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर सारंगी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सीबीआई के शपथ पत्र में सटीक जानकारी नहीं देने पर कड़ी नाराजगी जताई है । कोर्ट ने सीबीआई से मौखिक रूप से कहा कि कोर्ट द्वारा कई आदेश पारित करने के बाद भी आपके द्वारा शपथ पत्र में इस बात का जिक्र नहीं है कि कैसे एमपी- एमएलए के लंबित मामलों का त्वरित निष्पादन करेंगे। अभी एमपी – एमएलए के खिलाफ दर्ज अपराधिक मामलों के निष्पादन की गति काफी धीमी है।
कोर्ट ने राज्य सरकार एवं सीबीआई दोनों को एक सप्ताह में यह बताने को कहा है कि एमपी – एमएलए के मामलों में ट्रायल को जल्द पूरा करने के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इन दोनों को इस संबंध में शपथ पत्र दाखिल कर बताने को कहा गया है। गुरुवार को खंडपीठ ने झारखंड में एमपी-एमएलए के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले के जल्द निष्पादन को लेकर कोर्ट के स्वत: संज्ञान पर सुनवाई की।
पूर्व की सुनवाई में मामले में निदेशक अभियोजन कोर्ट में सशरीर हाजिर हुए थे। कोर्ट ने उनसे पूछा था कि निचली अदालत में एमपी-एमएलए के मामले में अगर अदालत से वे रिहा कर दिए गए हैं, तो इसके खिलाफ ऊपरी अदालत में क्रिमिनल एक्विटल अपील दाखिल की गई है या नहीं। एमपी-एमएलए के कितने मामलों में रिहाई के बाद ऊपरी अदालत में क्रिमिनल एक्विट्टल अपील दायर की गई है। क्या इस संबंध में कोई आंकड़ा उपलब्ध है। इस पर निदेशक अभियोजन कोर्ट को स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए थे।
(Udaipur Kiran)
(Udaipur Kiran) / शारदा वन्दना / दधिबल यादव