
-आरोपिताें को आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने के मामले में राहत मिली लेकिन अन्य आरोपों की जांच जारी रहेगी
जोधपुर, 12 मार्च (Udaipur Kiran) । राजस्थान उच्च न्यायालय ने आरोपिताें के खिलाफ दर्ज आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण एंव एससीएक्ट का मामला रद्द कर दिया। रामेदवरा थाने में दर्ज एफआईआर संख्या 65/2020 को लेकर तीन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मनोज कुमार गर्ग ने मामले में आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण और एससी/एसटी अत्याचार अधिनियम के तहत दायर आरोपों को रद्द कर दिया। हालांकि अन्य आरोपों के तहत पुलिस जांच जारी रखने का आदेश दिया गया है।
यह मामला 13 सितंबर 2020 को गिरधारी लाल ने दर्ज कराया। जिसमें आरोप था कि समंदर सिंह, बाबू सिंह तंवर, झाबर सिंह, मदन सिंह, आम सिंह, देरावार सिंह और दिलीप सिंह ने उनके और उनके भाई बाबूलाल के साथ मारपीट की और उनकी पानी की टंकी को तोड़ दिया। गिरधारी ने यह भी आरोप लगाया था कि जब वह तहसीलदार के पास शिकायत करने गए तो उन्हें तहसीलदार नहीं मिला, जिसके बाद उन्होंने अपने शरीर पर पेट्रोल छिडक़कर आत्महत्या कर लिया। शुरूआत में इस एफआईआर में धारा 447, 427, 423, 143 आईपीसी और एससी/एसटी अत्याचार अधिनियम की धारा 3(1)(ग), 3(1)(र) तथा 3(1)(य) के तहत मामले दर्ज किए गए थे, लेकिन बाद में गिरधारी लाल की मौत के बाद आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) जोड़ी गई थी।
न्यायालय ने एफआईआर और मामले से संबंधित दस्तावेजों का अवलोकन करने के बाद पाया कि आरोपिताें का मुख्य उद्देश्य गिरधारी को पानी टंकी निर्माण को रोकने के लिए समझाना था, न कि उसे आत्महत्या करने के लिए उकसाना। इसके साथ ही न्यायालय ने कहा कि आत्महत्या के मामले में केवल उत्पीडऩ का आरोप काफी नहीं होता, जब तक कि आरोपी की कार्रवाई आत्महत्या के निर्णायक कारण के रूप में साबित न हो। इसके अलावा, न्यायालय ने एससी/एसटी अत्याचार अधिनियम की धाराओं के तहत भी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि एफआईआर और गिरधारी के बयान में कोई ऐसा सबूत नहीं मिला, जिससे यह साबित हो सके कि आरोपिताें ने गिरधारी को उसके जाति के आधार पर अपमानित या उत्पीडि़त किया था। इस निर्णय के बाद, एफआईआर संख्या 65/2020 को धारा 306 आईपीसी और एससी/एसटी अत्याचार अधिनियम की धारा 3(1)(ग), 3(1)(र) तथा 3(1)(य) के तहत आरोपों से मुक्त कर दिया गया है।
(Udaipur Kiran) / सतीश
