Madhya Pradesh

मप्र सरकार पर लगा 50 हजार का जुर्माना : हाईकोर्ट में गलत तथ्य पेश करने का मामला

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जबलपुर, 13 मई (Udaipur Kiran) । हाईकोर्ट की मुख्यपीठ में बुरहानपुर के शेख अफजल के द्वारा दायर मामले की सुनवाई के दौरान सरकार द्वारा गलत तथ्य बताने को लेकर हाईकोर्ट ने इसको गंभीरता से लेते हुए 50 हजार रुपये की कॉस्ट लगा दी।

दरअसल हाईकोर्ट की मुख्यपीठ में मंगलवार को एनएसए के एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा इस मामले की केंद्र सरकार को भेजी गई जानकारी का रजिस्टर कोर्ट में पेश किया जाए। लेकिन जिस तृतीय श्रेणी के कर्मचारि को रजिस्टर लेकर कोर्ट पहुंचना था, वह समय पर पहुंच नहीं पाया। सरकार ने कोर्ट को जानकारी देते हुए बताया कि पहलगाम अटैक के चलते देश में बनी गंभीर स्थिति का हवाला देते हुए यह रजिस्टर समय पर कोर्ट नहीं पहुँच पाया। अपने आदेश के बाबजूद समय पर रजिस्टर पेश न करने के बाद हाईकोर्ट ने सरकार पर 50 हज़ार रुपए की कॉस्ट लगा दी थी।

इसके बाद सरकार की ओर से एक आवेदन पेश किया गया जिसमें यह बताया गया कि पहलगाम अटैक के बाद बनी स्थितियां और सिविल डिफेंस की तैयारी के चलते यह रजिस्टर समय पर कोर्ट नहीं पहुंच पाया था। इसके बाद जिस तृतीय श्रेणी के कर्मचारी गोरेलाल को यह रजिस्टर लेकर कोर्ट आना था उसने कोर्ट के सामने साफ-साफ कह दिया कि वह तृतीय श्रेणी कर्मचारी है और उसका सिविल डिफेंस में कोई भी काम नहीं है। उसके बयान के बाद यह साफ हो गया कि यह तथ्य पूरी तरह झूठा था।

इसके बाद सरकारी वकील ने बताया कि कर्मचारी गोरेलाल के द्वारा यह रजिस्टर चीफ सेक्रेटरी के आदेश के बाद ही लाया जा सकता था। वह मुख्यमंत्री के साथ तैयारी और मीटिंग में व्यस्त थे। जब कोर्ट ने उससे जुड़े दस्तावेज मांगे तो जो नोटशीट कोर्ट के सामने पेश की गई उसमें इसका कहीं भी उल्लेख नहीं था कि चीफ सेक्रेटरी मुख्यमंत्री के साथ मीटिंग में व्यस्त थे। इसके बाद कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए अपने जुर्माने के आदेश को जारी रखा।

हाईकोर्ट में जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस देवनारायण मिश्रा की डिविजनल बेंच ने सरकार से नाराजगी जताते हुए यह कहा कि कोर्ट का मजाक नहीं बनाया जा सकता। लिहाजा अब सरकार को अब 50 हजार रुपए की कास्ट एमपी हाईकोर्ट लीगल सर्विसेज कमिटी के अकाउंट में जमा करनी होगी।

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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक

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