मुंबई, 28 अप्रैल (Udaipur Kiran) । जलगांव जिला मराठा विद्याप्रसारक समाज संस्था पर नियंत्रण पाने के लिए उसके ट्रस्टियों को धमकाने के आरोप में भाजपा नेता और ग्रामीण विकास मंत्री गिरीश महाजन के खिलाफ दर्ज मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। बांबे हाई कोर्ट ने हाल ही में इस निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका का निपटारा किया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि सीबीआई ने मामले को बंद करने के संबंध में संबंधित अदालत को पहले ही रिपोर्ट सौंप दी है, इसलिए याचिकाकर्ताओं को संबंधित अदालत में इस रिपोर्ट का विरोध करने के लिए आवश्यक कार्रवाई की मांग करनी चाहिए।
कोथरुड पुलिस ने महाजन और उनके निजी सचिव रामेश्वर नाईक के खिलाफ मामला दर्ज किया था। महाजन और नाईक ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर मामले की सुनवाई होने तक गिरफ्तार न किए जाने की मांग की थी। अदालत ने दोनों को गिरफ्तारी से राहत दी थी। इसके अलावा 22 जुलाई 2022 को तत्कालीन उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाले गृह विभाग ने महाजन के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। इसके बाद 23 दिसंबर 2023 को सीबीआई ने पुणे की अदालत में एक रिपोर्ट पेश की, जिसमें निष्कर्ष निकाला गया कि महाजन के खिलाफ आरोप साबित नहीं किए जा सके और मामले को बंद करने की मांग की गई।
मामले को सीबीआई को हस्तांतरित करने के निर्णय को संगठन के निदेशक विजय भास्करराव पाटिल ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। पाटिल ने याचिका में दावा किया था कि मामले को सीबीआई को सौंपने का सरकार का निर्णय अवैध, मनमाना और भारत के संविधान के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने यह भी मांग की थी कि सरकार के फैसले को रद्द किया जाए। इस याचिका पर हाल ही में सुनवाई हुई। सरकार ने अदालत को बताया कि पाटिल की याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती। सरकार ने यह भी सुझाव दिया कि पाटिल निचली अदालत में विरोध याचिका दायर करके सीबीआई के फैसले को चुनौती दे सकते हैं।
न्यायाधीश रेवती मोहिते-डेरे और न्यायाधीश नीला गोखले की पीठ ने सरकारी अभियोजक की दलील को बरकरार रखा। इसके अलावा पाटिल की याचिका का निपटारा कर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता सीबीआई द्वारा मामला बंद करने के फैसले के खिलाफ पुणे अदालत में विरोध आवेदन दायर कर सकते हैं।
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(Udaipur Kiran) / वी कुमार
