
– मंत्री विजयवर्गीय बोले- नक्सली कनेक्शन नहीं मिला तो देंगे एक करोड़ रुपये
भोपाल, 18 मार्च (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के छठवें दिन मंगलवार को सिंहस्थ के लिए जमीन अधिग्रहण का मामला भी गूंजा। इसे लेकर दो भाजपा विधायक आमने-सामने आ गए। वहीं, सदन में मंडला नक्सली एनकाउंटर को लेकर कांग्रेस ने हंगामा किया। उन्होंने कहा कि यह एनकाउंटर फर्जी है। आदिवासी की हत्या की गई। इस पर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि यदि एनकाउंटर में नक्सली कनेक्शन नहीं मिला तो परिवार को एक करोड़ रुपये दिए जाएंगे। दोषी अफसरों पर कार्रवाई की जाएगी। सदन में संबल योजना समेत अन्य योजनाओं में गड़बड़ी के मुद्दे पर विपक्ष ने सवाल उठाए। शाम का सदन की कार्यवाही गुरुवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
मंगलवार को सदन में चर्चा के दौरान सिंहस्थ के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर दो भाजपा विधायक आमने-सामने आ गए। उज्जैन के पूर्व सांसद और वर्तमान विधायक चिंतामणि मालवीय ने कहा कि उज्जैन का किसान परेशान है, क्योंकि अधिकारी मनमानी कर रहे हैं। वे सिंहस्थ के नाम पर किसानों की जमीन का जबरन अधिग्रहण कर रहे हैं। इससे किसानों में भय है। सिंहस्थ का आयोजन टेंट के रूप में होता है, लेकिन यहां स्थाई निर्माण करने की तैयारी है। इस पर भाजपा विधायक अनिल जैन ने कहा कि उज्जैन में अच्छे काम हो रहे हैं, इस मुद्दे पर दोनों विरोधाभासी बयान देते रहे।
आगर से भाजपा विधायक माधव सिंह ने कहा कि आगर उज्जैन से लगा हुआ है। इसलिए उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ के चलते यहां भी सारी सुविधाएं विकसित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरे क्षेत्र में विंड एनर्जी और सोलर एनर्जी पर काफी काम हो रहा है। इसलिए यहां उद्योगपतियों का आना-जाना लगा रहता है। यहां हैलीपेड भी बनाया जा रहा है ताकि वे सीधे यहां आकर स्थिति देख सके और उद्योग लगाने का फैसला कर सकें।
सिंहस्थ में किसानों की जमीन अधिग्रहीत करने का कांग्रेस विधायक महेश परमार ने भी विरोध किया। उन्होंने कहा कि जिस शिप्रा नदी के आशीर्वाद से डॉ. मोहन यादव मुख्यमंत्री बने हैं, वह निर्मल होनी चाहिए। प्रयागराज महाकुंभ के दौरान जिस तरह से भीड़ उमड़ी थी, वैसी ही भीड़ सिंहस्थ के दौरान भी होना तय है। इसलिए सिंहस्थ में श्रद्धालुओं के रुकने का पर्याप्त इंतजाम हो। पार्किंग बनाकर आवागमन का पूरी तरह से ध्यान रखा जाए।
बजट पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि प्रदेश में आम व्यक्ति को महंगाई की ओर धकेला गया है। प्रदेश में नर्सिंग घोटाला और परिवहन घोटाला हो चुका है। गर्मी आते ही नल जल घोटाले की भी स्थिति सामने आ गई है। किसी जिले में किसी कलेक्टर ने पेयजल को लेकर समीक्षा बैठक नहीं बुलाई। सहकारिता में बजट के लिए 0.50 प्रतिशत ही प्रावधान किया है, जबकि सरकार सहकारिता को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करती है। देश के टॉप फाइव राज्यों में कुपोषण के मामले में मध्य प्रदेश का भी नाम है, लेकिन बजट में सिर्फ एक प्रतिशत राशि का प्रावधान किया गया है। पांच साल में उधारी 67% बढ़ गई है। इसका बजट में जिक्र नहीं किया गया है। सरकार को चाहिए कि स्टेट डेवलपमेंट सिक्योरिटी के लिए विचार करें।
कांग्रेस विधायक हेमंत कटारे ने कहा कि बजट में आंकड़ों की बाजीगरी दिखाने की कोशिश की गई है। कैग की रिपोर्ट में संबल योजना में 2.74 करोड रुपए फर्जी तरीके से अपात्र लोगों को दिए गए। ये ऐसे लोग हैं जो स्वर्गवासी हो चुके हैं, उनके नाम पर पैसा निकाला गया है। कटारे ने ग्वालियर भिंड इटावा हाईवे को मौत का हाईवे बताकर इसे सिक्स लेन बनाने की मांग की। कटारे ने कहा कि राम वन गमन पथ और श्री कृष्ण पाथेय के लिए बजट कम जारी हुआ। इसमें 10 गुना वृद्धि की जाए।
विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा ने कहा कि सतना में सिविल लाइन के नाम पर भ्रष्टाचार हो रहा है। चार-चार ठेकेदार काम छोड़कर चले गए। सरकार बाहर के लोगों, व्यापारियों को 18,000 एकड़ जमीन दे रही है, लेकिन प्रदेश के युवाओं को एक एकड़ जमीन देने के लिए भटकाया जा रहा है। सतना सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले जिलों में शामिल है, लेकिन विकास के मामले में उपेक्षित है। सतना का पैसा सतना में खर्च नहीं होता बल्कि भोपाल में खर्च होता है। यहां 6 माह से आउटसोर्स कर्मचारी को वेतन नहीं मिला है।
छिंदवाड़ा जिले की जुन्नारदेव विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक सुनील उइके ने कहा कि 2007 में भाजपा सरकार ने राम वन गमन पथ बनाने का ऐलान किया था। आज 18 साल बीत गए, लेकिन इस पर कोई काम नहीं हुआ। भगवान राम को 14 साल का ही वनवास हुआ था, लेकिन यहां 18 साल बीत गए और घोषणा सिर्फ घोषणा रह गई।
वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने बजट पर चर्चा के बाद जवाब देते हुए कहा कि हमने तेरा तुझको अर्पण की नीति पर बजट तैयार किया है। हमने कोशिश की है कि जब बजट तय किया था तो तब से अब तक कितनी राशि खर्च की गई। इसका बजट में प्रावधान करेंगे। इससे हमें बजट के वास्तविक खर्च की स्थिति पता चलेगी। जहां जरूरत होगी वहां बजट का अधिक प्रावधान कर सकेंगे। कांग्रेस की सरकार बनने पर 2019 में दो बार पेट्रोल-डीजल पर वैट की अतिरिक्त राशि बढ़ाई गई। भाजपा सरकार बनने पर 2008 में डीजल-पेट्रोल पर वैट घटाया गया था। पहले मंदसौर से भोपाल आने में 12 घंटे लगते थे। अब 5 घंटे में पहुंच जाते हैं। अगले 5 साल में एक लाख किलोमीटर सड़कों का निर्माण होगा। वित्त मंत्री देवड़ा ने कहा कि हमने कर्जा लिया, लेकिन कर्ज लेकर घी नहीं पीया। कर्जा लेकर सड़कें बनाई। विकास कार्य किए। सभी सरकार कर्ज लेती हैं।
उन्होंने कहा कि 15,000 करोड रुपए से अधिक के दायित्वों का भुगतान हम वर्ष 2025-26 में करेंगे। 2001-02 में भू राजस्व प्राप्ति का 20% ब्याज भुगतान में जाता था। हम अपने राजस्व प्राप्तियां से 10% से कम ही ब्याज पर भुगतान कर रहे हैं। ऐसा हमारे ब्याज भुगतान प्रबंधन की स्थिति के चलते किया गया है। सरकार जो भी कर्ज ले रही है वह भारत सरकार की दिशा निर्देशों के आधार पर ही ले रही है।
वित्त मंत्री देवड़ा के जवाब के दौरान हंगामे की स्थिति बन गई। उन्होंने एससी-एसटी बजट को लेकर कहा कि बाबा साहब के नाम पर राजनीति करने वाले बजट के बारे में चर्चा नहीं करते। इस पर कांग्रेस के फूल सिंह बरैया समेत अन्य विधायकों ने विरोध किया। मंत्री गौतम टेटवाल समेत अन्य सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने शोर-शराबा शुरू कर दिया। इस पर अध्यक्ष को खड़े होकर दोनों पक्षों को शांत करना पड़ा। इसके बाद फिर कार्रवाई शुरू हो पाई।
कांग्रेस विधायक फूल सिंह बरैया ने पंचायत और श्रम विभाग की चर्चा के दौरान कहा कि वह पंचायती राज व्यवस्था के विरोधी हैं। बरैया ने कहा कि बाबा साहब अंबेडकर कहते थे जब तक जाति व्यवस्था खत्म नहीं होगी तब तक पंचायती राज सफल नहीं होगा। पंचायत मंत्री अच्छे हैं लेकिन व्यवस्था खराब है। जब तक पंचायती राज खत्म नहीं होगा तब तक कमजोर व्यक्ति के फरियादी होने के बाद भी थानेदार उसके पास नहीं जाएगा। वह सरपंच के यहां जाएगा और सरपंच की सुनेगा।
विभागीय मांगों पर चर्चा के दौरान विधायक ओंकार सिंह मरकाम ने कहा कि सरकार को मजदूरों के हितों के लिए काम करना चाहिए। गांवों में बैंक नहीं हैं, इसका खामियाजा भी लोगों को उठाना पड़ता है। हालात यह हैं कि कई गांवों में लोगों को वेतन पान के लिए रात से लाइन लगानी पड़ती है। इसलिए सरकार भुगतान पर फोकस करें।
इसके बाद विधायक अभय मिश्रा ने कहा कि सरपंच काम नहीं कर पाते हैं क्योंकि पंचायत सचिव और ग्राम रोजगार सहायक उन्हें अपनी इच्छा के मुताबिक काम करने को मजबूर करते हैं। सरकार को चाहिए कि पंचायतों के खातों में जमा राशि की जानकारी मंगाए, खासतौर पर एससी-एसटी पंचायतों के मामले में ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि जहां भवन पुराने हैं वहां भवन डिस्मेंटल के लिए एक कमेटी बनाई गई है। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही पहले से पंचायत भवन वाले पंचायत में नए भवन की मंजूरी दी जाएगी। सरकार की पहली प्राथमिकता उन पंचायत में भवन बनाना है जहां अभी कोई भवन नहीं है। विभाग के बजट में 16 % की वृद्धि हुई है। वृंदावन ग्राम योजना के लिए 400 करोड़ का प्रावधान किया है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में अब टोले मजरे भी जुड़ेंगे। टोले मजरों को पंचायत के मुख्यालय से जोड़ा जाएगा। अब तक तीन हजार 112 मजरों का सर्वे हो चुका है। इसमें से 1424 आईडेंटिफाई हो चुके हैं और यहां सड़क बनना तय है।
मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि उन्होंने मनरेगा पर सख्ती की थी क्योंकि 7.75 लाख काम बंद थे। सख्ती करने के बाद 5.50 लाख काम पूरे हो गए। जो पंचायत भवन अटल जी के नाम पर बना रहे हैं, वह तीन मंजिल तक बन सकते हैं। इसकी प्लिंथ मजबूत कराई गई है। शहरों के पास मौजूद पंचायत के विकास का फार्मूला बदलना पड़ेगा। क्योंकि वहां कालोनियां बन रही है। विकास कार्य हो रहे हैं। हम अफसरों की सीआर में जिला पंचायत अध्यक्ष की भागीदारी करेंगे। इसके लिए तीन से चार बार में अभिमत मांगेंगे।
मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि एक तरफ हम जाति मिटाने की बात करते हैं। दूसरी तरफ हम जाति की ही बात करते हैं कि किस जाति को क्या मिला। इसलिए हमें प्राथमिकता मौजूदा स्थितियों के हिसाब से तय करना चाहिए। मंत्री ने कहा कि 2014 के बाद शुरू हुई किसी योजना में जाति के आधार पर काम नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री आवास योजना इसका उदाहरण है। संबल हितग्राहियों को तुरंत मिलेगा पैसा: कांग्रेस की सरकार के समय संबल योजना में जो काम बंद हुआ था, उसका बैकलॉग अब तक क्लियर नहीं हुआ है। बैकलॉग क्लियर होने में 6 महीने का समय और लगेगा। इसके बाद योजना के हितग्राहियों को तुरंत पैसा मिलने लगेगा।
उन्होंने कहा कि मरे हुए हितग्राहियों के नाम पर पैसा निकल गया है। यह सही है और इसे स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं है। व्यवस्था को सुधारने का काम भी किया गया है। यह स्थिति इसलिए बनी थी क्योंकि संबंधित हितग्राही का केवाईसी अपडेट नहीं था। पहले जो मजदूर जब बाहर जाते थे, उन्हें एसडीएम से परमिशन लेनी होती थी। लेकिन कोई परमिशन नहीं लेता था और ठेकेदार के साथ चले जाते थे। ऐसे में दुर्घटना होने पर उन्हें लाभ नहीं मिल पाता था। अब इस व्यवस्था में सुधार किया जा रहा है।
(Udaipur Kiran) तोमर
