
शिमला, 2 मई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीपीसीएल) के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की रहस्यमयी मौत मामले में हाई कोर्ट से पूर्व प्रबंध निदेशक और आईएएस अधिकारी हरिकेश मीणा को अंतरिम राहत मिली है। कोर्ट ने मीणा की गिरफ्तारी पर रोक को 15 मई तक बढ़ा दिया है और अगली सुनवाई की तारीख तय की है।
शुक्रवार को विशेष जांच दल (एसआईटी) ने हाई कोर्ट में केस से जुड़ी स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत की। इससे पहले 8 अप्रैल को हुई सुनवाई में काेर्ट ने हरिकेश मीणा को 2 मई तक अंतरिम जमानत दी थी। अब इस जमानत की अवधि को बढ़ाकर 15 मई तक किया गया है।
किरण नेगी ने उठाई सीबीआई जांच की मांग
पिछले दिनों इस मामले में नया मोड़ तब आया था, जब मृतक चीफ इंजीनियर की पत्नी किरण नेगी ने एसआईटी की जांच पर असंतोष जताते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी। इसे लेकर उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिस पर न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की एकलपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। इस याचिका पर अगली सुनवाई 20 मई को निर्धारित की गई है।
10 मार्च को लापता हुए थे नेगी, 18 मार्च को मिला था शव
गौरतलब है कि विमल नेगी 10 मार्च को रहस्यमयी परिस्थितियों में लापता हो गए थे। परिजनों की शिकायत के बाद पुलिस ने तलाश शुरू की और करीब आठ दिन बाद 18 मार्च को उनका शव बिलासपुर स्थित गोबिंदसागर झील में बरामद हुआ। नेगी की मौत ने पूरे प्रदेश में सनसनी फैला दी थी और कई सवाल खड़े कर दिए थे। विमल नेगी की पत्नी किरण नेगी की शिकायत पर न्यू शिमला थाना में दर्ज एफआईआर में पूर्व एमडी हरिकेश मीणा, निलंबित निदेशक देसराज और एक अन्य आईएएस अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। आरोप है कि इन अधिकारियों ने नेगी को प्रताड़ित किया, जिससे वे मानसिक तनाव में आ गए। यही मानसिक दबाव उनकी आत्महत्या का कारण बना।
एसआईटी की जांच में कई अधिकारी पूछताछ के दायरे में
एसआईटी ने अब तक की जांच में पूर्व एमडी हरिकेश मीणा, निलंबित निदेशक देसराज, आईएएस अधिकारी शिवम प्रताप सिंह समेत एचपीपीसीएल के कई वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ की है। इसके अलावा इलेक्ट्रिक विंग से जुड़े कर्मचारियों से भी जानकारी जुटाई गई है।
कार्यालयीन व्यवहार और मानसिक स्थिति की भी जांच
नेगी की मौत के पीछे संभावित कारणों की तह तक पहुंचने के लिए एसआईटी यह भी जांच कर रही है कि कार्यस्थल पर उनके साथ कैसा व्यवहार होता था, उन्हें किन जिम्मेदारियों में रखा गया था और ऑफिस मीटिंग्स में उनके साथ कैसा बर्ताव किया जाता था। साथ ही उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की स्थिति को भी जांच के दायरे में लाया गया है।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
