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समरावता में ग्रामीणों पर कार्रवाई को लेकर सीबीआई जांच की गुहार, केस डायरी तलब

हाईकोर्ट जयपुर

जयपुर, 13 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने देवली-उनियारा विधानसभा सीट के लिए 13 नवंबर 2024 को हुए उपचुनाव के दौरान निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा के एसडीएम को थप्पड़ मारने की घटना के बाद समरावता में ग्रामीणों के खिलाफ हुई कार्रवाई को लेकर सीबीआई जांच की मांग को लेकर दायर याचिका में राज्य सरकार से केस डायरी तलब की है। जस्टिस विनोद कुमार भारवानी ने यह आदेश दिलखुश मीणा व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।

याचिका में अधिवक्ता राजेश गोस्वामी ने अदालत को बताया कि इस मामले में चार एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं और ऐसे में इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। ग्रामीणों ने उप चुनावों का बहिष्कार किया था और वे शांतिपूर्वक इसका विरोध कर रहे थे, लेकिन इस दौरान ही उन पर स्थानीय प्रशासनिक अफसरों व पुलिस अफसरों की ओर से दबाव बनाया। इसके साथ ही निर्दोष ग्रामीणों पर स्थानीय प्रशासन व पुलिस ने अत्याचार कर पत्थर फेंके। मामले में कोई कार्रवाई करने की बजाय पुलिस से उनके खिलाफ ही झूठी एफआईआर दर्ज कर ली। प्रकरण में पुलिस निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती। इसलिए मामले की हाईकोर्ट की मॉनिटरिंग में सीबीआई जांच कराई जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मामले की केस डायरी तलब की है।

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(Udaipur Kiran)

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समरावता में ग्रामीणों पर कार्रवाई को लेकर सीबीआई जांच की गुहार, केस डायरी तलब

हाईकोर्ट जयपुर

जयपुर, 13 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने देवली-उनियारा विधानसभा सीट के लिए 13 नवंबर 2024 को हुए उपचुनाव के दौरान निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा के एसडीएम को थप्पड़ मारने की घटना के बाद समरावता में ग्रामीणों के खिलाफ हुई कार्रवाई को लेकर सीबीआई जांच की मांग को लेकर दायर याचिका में राज्य सरकार से केस डायरी तलब की है। जस्टिस विनोद कुमार भारवानी ने यह आदेश दिलखुश मीणा व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।

याचिका में अधिवक्ता राजेश गोस्वामी ने अदालत को बताया कि इस मामले में चार एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं और ऐसे में इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। ग्रामीणों ने उप चुनावों का बहिष्कार किया था और वे शांतिपूर्वक इसका विरोध कर रहे थे, लेकिन इस दौरान ही उन पर स्थानीय प्रशासनिक अफसरों व पुलिस अफसरों की ओर से दबाव बनाया। इसके साथ ही निर्दोष ग्रामीणों पर स्थानीय प्रशासन व पुलिस ने अत्याचार कर पत्थर फेंके। मामले में कोई कार्रवाई करने की बजाय पुलिस से उनके खिलाफ ही झूठी एफआईआर दर्ज कर ली। प्रकरण में पुलिस निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती। इसलिए मामले की हाईकोर्ट की मॉनिटरिंग में सीबीआई जांच कराई जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मामले की केस डायरी तलब की है।

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