
सीबीआई चार्जशीट में चार एजेंटों की डायरियों का खुलासा
कोलकाता, 07 मार्च (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने अपनी तीसरी अतिरिक्त चार्जशीट में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। चार्जशीट के मुताबिक, उम्मीदवारों को परीक्षा में खाली उत्तरपुस्तिका जमा करने के बावजूद पास करवा दिया गया और इसके बदले मोटी रकम ली गई। इस पूरे घोटाले में करोड़ों रुपये की रिश्वत का लेन-देन हुआ, जिसका हिसाब चार एजेंटों की डायरियों में दर्ज था।
सीबीआई के अनुसार, एजेंट शेख अब्दुल सलाम, बकुल विश्वास, रौसन आलम उर्फ मिलन और त्रिस्तान मन्ना के पास से कुल 10 डायरियां बरामद हुई हैं। इन डायरियों में रिश्वत के पैसों का पूरा हिसाब-किताब लिखा गया था। एजेंटों द्वारा जुटाई गई रकम पहले अरुण कुमार हाजरा उर्फ चिनु हाजरा को दी जाती थी और फिर वह रकम सुजयकृष्ण भद्र उर्फ ‘कालीघाट के काकू’ तक पहुंचती थी।
सीबीआई ने चार्जशीट में बताया है कि सुजयकृष्ण के बहीखाते कभी बेहला स्थित घर में, कभी ‘बेहला उत्तरसूत्री’ नामक क्लब में, तो कभी ‘लिप्स एंड बाउंड्स’ कार्यालय में तैयार होते थे। कई बार सुजयकृष्ण की जगह उनके कर्मचारी निखिल हाथी भी रिश्वत की रकम लेते थे। लिप्स एंड बाउंस कंपनी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी की है।
हालांकि, इतने पैसों के बाद भी कई अभ्यर्थियों को नौकरी नहीं मिली। जब अभ्यर्थियों और एजेंटों ने पैसे वापस मांगे, तो सुजयकृष्ण ने अपनी जमीन बेचकर करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये लौटाए। सीबीआई के मुताबिक, 78 करोड़ रुपये तक की रिश्वत ली गई थी, जिसका एक अनुबंध भी तैयार किया गया था।
पश्चिम मेदिनीपुर के सलाम ने सीबीआई को बताया कि वह उच्च प्राथमिक शिक्षक की नौकरी के लिए प्रयास कर रहे थे। उनके अनुसार, अरुण ने आठ लाख रुपये की मांग की थी, लेकिन अग्रिम देने में असमर्थ होने पर उन्हें बिना अग्रिम ही पास कराने का भरोसा दिया गया। परीक्षा में खाली उत्तरपुस्तिका जमा करने के बाद भी अभ्यर्थी पास हो गए और फिर उनसे रकम वसूली गई।
सलाम ने आगे बताया कि जब वे बाकी पैसे नहीं दे पाए, तो अरुण ने और अभ्यर्थी लाकर कमीशन के जरिए पैसे चुकाने का सुझाव दिया। इसके बाद सलाम ने अन्य क्षेत्रों के अभ्यर्थियों से भी रकम जुटाई।
सलाम ने सीबीआई को यह भी बताया कि कुंतल घोष की गिरफ्तारी के बाद सुजयकृष्ण ने उन्हें व्हाट्सऐप पर कई बार संपर्क कर घूस के लेन-देन से जुड़े सबूत नष्ट करने के लिए कहा। सुजयकृष्ण ने बताया था कि उन्होंने अपने मोबाइल फोन आदिगंगा में फेंक दिए और सभी ईमेल डिलीट कर दिए।
मुर्शिदाबाद के बकुल विश्वास ने बताया कि उन्होंने अरुण के कहने पर कई अभ्यर्थी जुटाए और पैसे इकट्ठे किए, लेकिन जब नौकरी नहीं मिली, तो पैसे लौटाने की मांग की। 2023 में जब वे सुजयकृष्ण के घर पहुंचे, तो उन्होंने पहचानने से इनकार कर दिया और पैसे लौटाने से भी मना कर दिया।
नदिया के रौशन आलम ने करीब 30 करोड़ रुपये इकट्ठा कर अरुण को सौंपे थे। उन्होंने बताया कि पैसे लेने के लिए अरुण उनके गांव में गाड़ी भेजते थे। जब नौकरी नहीं मिली, तो कई बार पैसे वापस मांगने गए और कुछ रकम वापस भी मिली।
दक्षिण 24 परगना के त्रिस्तान ने बताया कि उनकी पत्नी ने परीक्षा में खाली उत्तरपुस्तिका जमा की थी, फिर भी उन्हें 125 अंक मिले। त्रिस्तान ने करीब नौ करोड़ रुपये अरुण को सौंपे और अन्य अभ्यर्थियों से भी पैसा इकट्ठा किया।
इस घोटाले में सीबीआई ने सुजयकृष्ण को गिरफ्तार किया था, जो फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। गौरतलब है कि सीबीआई की इस चार्जशीट में तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी का भी जिक्र आया था, जिसे लेकर उनके वकील ने राजनीतिक साजिश का आरोप लगाया था।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
