जोधपुर, 25 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि ऑनलाइन आवेदन पेश करने के दौरान हुई टेक्निकल गड़बड़ी के लिए अभ्यर्थी जिम्मेवार नहीं हो सकता है। मामले में हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर ने चिकित्सा अधिकारियों के 1220 पदों पर चल रही भर्ती प्रक्रिया में आवेदन फीस का डिमांड ड्राफ्ट लेकर आवेदक की अभ्यर्थिता कंसीडर करने के अहम आदेश दिए है।
पोकरण निवासी डॉ. गजेंद्र कुमार पालीवाल की ओर से अधिवक्ता यशपाल खि़लेरी ने रिट याचिका दायर कर बताया कि निदेशालय चिकित्सा विभाग जयपुर ने चिकित्साधिकारी के 1220 रिक्त पदों हेतु इसी साल 20 मई से राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय जयपुर को भेजकर विज्ञप्ति जारी करने का कहा गया। जिस पर राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय जयपुर ने विज्ञप्ति जारी कर आवेदन आमंत्रित किए। आवेदन की अंतिम तिथि एक अक्टूबर रखी गई।। याचिकाकर्ता ने 30 सितंबर को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करते हुए ऑनलाइन आवेदन पत्र जमा करवा दिया जो सफलतापूर्वक जमा हो गया तथा निर्धारित आवेदन फीस पांच हजार रुपए भी जमा करवाने पर लेनदेन सफल रिपोर्ट प्राप्त हो जाने पर याची निश्चिन्त हो गया कि उसका आवेदन सफलतापूर्वक जमा हो चुका है।। बाद में आवेदन पत्र जमा करवाने की अंतिम तिथि बढ़ाकर चार अक्टूबर कर दी गई।
अंतिम तिथि के बाद आया मैसेज
अंतिम तिथि निकल जाने पर याचिकाकर्ता के बैंक एकाउंट में छह अक्टूबर को पांच हजार रुपए वापस रिफंड का मैसेज आया। इस पर उसने राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय जयपुर को ईमेल के जरिये सूचना दी तो जवाब में कहा जाता है कि उसका आवेदन शुल्क का भुगतान सफ़ल नहीं हैं, इसलिए फॉर्म रिजेक्ट कर दिया गया है। लिखित परीक्षा 17 नवंबर को होनी है। यदि अंतिम दिनांक से पूर्व सूचित किया जाता तो याचिकाकर्ता आवेदन शुल्क पुन: जमा करवा सकता था लेकिन पेमेंट का रिफंड सात दिन बाद लौटकर याचिकाकर्ता के बैंक खाते में क्रेडिट किये जाने से उसे बेवज़ह अब भर्ती प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है। रिक्रूटमेंट एजेंसी की बैंक से हुई तकनीकी खराबी/गड़बड़ी के लिए याचिकाकर्ता को दोषी नहीं ठहराया जा सकता हैं। याचिकाकर्ता को 17 नवंबर को होने वाली लिखित परीक्षा से वंचित करने से उसका भविष्य खऱाब हो जाएगा। प्रकरण के तथ्यों और मामले की परिस्थितियों को देखते हुए राजस्थान हाइकोर्ट ने रिट याचिका स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता को एक सप्ताह के भीतर पांच हजार रुपए का बैंक डिमांड ड्राफ्ट पेश करने पर राजस्थान स्वास्थ्य विश्वविद्यालय जयपुर को आदेशित किया कि वह याचिकाकर्ता को चिकित्सा अधिकारी के पदों के लिए चल रही चयन प्रक्रिया में शामिल करते हुए एडमिट कार्ड जारी करें।
(Udaipur Kiran) / सतीश