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चेन्नई, 01 फरवरी (Udaipur Kiran) । मद्रास हाई कोर्ट ने एक 16 वर्षीय लड़की के प्रजनन स्वायत्तता के अधिकार के पक्ष में फैसला सुनाया है तथा उसे 28 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दे दी है। अदालत ने लड़की के अपने शरीर पर अधिकार तथा गर्भावस्था के संबंध में निर्णय लेने की उसकी स्वायत्तता को मान्यता दी।
अपने फैसले में न्यायमूर्ति एस. सौंथर ने लड़की की कोमल उम्र होने के नाते आगामी बोर्ड परीक्षाओं और उसकी तर्कसंगत निर्णय लेने की क्षमता पर विचार किया। अदालत ने सरकारी मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर की मेडिकल रिपोर्ट पर भी भरोसा किया जिसमें गर्भावस्था की चिकित्सीय समाप्ति (एमटीपी) के लिए कोई महत्वपूर्ण मतभेद नहीं पाया गया।
अदालत ने वेल्लोर मेडिकल कॉलेज को एमटीपी की व्यवस्था करने और प्रक्रिया शीघ्रता से पूरी करने का निर्देश दिया। इसके अतिरिक्त अदालत ने यौन उत्पीड़न के लिए दर्ज आपराधिक मामले में सहायता के लिए डीएनए परीक्षण हेतु भ्रूण को संरक्षित करने का आदेश दिया।
लड़की की मां ने अपनी बेटी की अल्पसंख्यक स्थिति तथा शैक्षणिक गतिविधियों को देखते हुए गर्भपात की इच्छा को लेकर अदालत में याचिका दायर की थी। साथ ही साथ लड़की ने अपनी पढ़ाई जारी रखने की इच्छा भी व्यक्त की थी।
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(Udaipur Kiran)
