Maharashtra

विचाराधीन मामलों में सहमति पर ठाणे न्यायालय में शिविर

Camp at Thane court on consent in pending cases

मुंबई,23 अप्रैल ( हि.स.) । महाराष्ट्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, मुंबई मुख्य मध्यस्थता केंद्र , और माननीयउच्च न्यायालय, मुंबई, साथ ही प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश, माननीय के निर्देशानुसार श्रीनिवास अग्रवाल के मार्गदर्शन में, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, ठाणे, बुधवार आज 23 अप्रैल 2025 को विधि सेवा सदन, ठाणे जिला न्यायालय में मध्यस्थता जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। उल्लेखनीय है कि माननीय न्यायालय में वर्षों से विचाराधीन मामलों में आपसी सहमति के लिए ठाणे न्यायालय में शिविर लगाया गया था।इसमें दो पक्षों में वकील द्वारा मध्यस्थता किस प्रकार की जा सकती है इस पर भी विचार विर्मश किया गया।शिविर में मुख्य वक्ता माननीय थे अमित वी. अलंगे, न्यायाधीश, पारिवारिक न्यायालय, ठाणे, ठाणे जिला वकील संघ के उपाध्यक्ष, माननीय सलिल भुटाला, वरिष्ठ मध्यस्थता वकील संजय म्हात्रे और माननीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का गठन किया गया। सचिव, कार्यक्रम ईश्वर सूर्यवंशी की मुख्य उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। इस शिविर में ठाणे जिले के पैनल वकील, मध्यस्थता वकील, सरकारी वकील, कानून के छात्र और अन्य नागरिक उपस्थित थे। शिविर में ईश्वर सूर्यवंशी ने कहा कि मध्यस्थता प्रक्रिया की प्रकृति और दायरे के बारे में बताया। उन्होंने यह भी मार्गदर्शन दिया कि मध्यस्थता प्रक्रिया में मध्यस्थता वकीलों की भूमिका क्या होनी चाहिए तथा मध्यस्थता प्रक्रिया किस समय-सीमा के भीतर पूरी होनी चाहिए। उन्होंने वकीलों से मध्यस्थता प्रक्रिया के लिए प्रयास करने का आग्रह करते हुए कहा कि मध्यस्थता प्रक्रिया की सफलता में वकीलों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इस मौके पर मुख्य वक्ता माननीय अमित वी. अलांगे ने उपस्थित लोगों को मध्यस्थता के बारे में मार्गदर्शन दिया। अपने व्याख्यान में उन्होंने कहा कि मध्यस्थता वर्चुअली (ऑनलाइन) भी की जा सकती है, लेकिन केवल दोनों पक्षों की सहमति से। यह भी कहा गया कि यदि किसी क्षेत्र में कोई विवाद हो तो वहां के समुदायों के बीच भी मध्यस्थता की जा सकती है और इसे सामुदायिक मध्यस्थता प्रक्रिया कहा जाता है।

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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा

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