कोलकाता, 19 नवंबर (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा क्षेत्र में 16 नवंबर को हुई सांप्रदायिक हिंसा पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने राज्य प्रशासन को प्रभावित लोगों को उनके घर वापस पहुंचाने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त पुलिस बल तैनात करने का भी आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति हरीश टंडन और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने राज्य के महाधिवक्ता को निर्देश दिया कि वह उच्च पदस्थ अधिकारी के माध्यम से यह रिपोर्ट पेश करें। इसमें हिंसा से संबंधित सभी जानकारी और दोषियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्योरा शामिल हो।
न्यायालय ने घायल व्यक्तियों को इलाज की पूरी सुविधा उपलब्ध कराने और उनके ठीक होने तक देखभाल सुनिश्चित करने का भी आदेश दिया। साथ ही अदालत ने प्रशासन को क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बहाल रखने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया।
इस मामले में दो जनहित याचिकाएं दाखिल की गईं जिनमें याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि हिंसा में कई लोग घायल हुए, घरों को आग के हवाले कर दिया गया और कई लोग डर के कारण अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए। याचिकाकर्ताओं ने पुलिस पर पक्षपातपूर्ण कार्रवाई का आरोप लगाते हुए केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग की।
राज्य के महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने अदालत को बताया कि हिंसा के तुरंत बाद बड़ी संख्या में पुलिस बल और रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) को तैनात किया गया है। केंद्र सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अशोक कुमार चक्रवर्ती ने कहा कि अगर अदालत केंद्रीय बलों की तैनाती का निर्देश देती है, तो इसे तुरंत लागू किया जाएगा।
अदालत ने कहा कि नागरिकों की सुरक्षा राज्य प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है। प्रशासन को निष्पक्ष और भेदभावरहित तरीके से काम करना चाहिए ताकि लोगों में असुरक्षा की भावना खत्म हो सके। अदालत ने कहा कि प्रभावित लोगों को सुरक्षा मुहैया कराते हुए उनके घर वापस लाने की व्यवस्था की जाए और इलाके में शांति कायम होने तक नियमित पुलिस गश्त जारी रखी जाए।
न्यायालय ने यह भी कहा कि रिपोर्ट आने के बाद ही केंद्रीय बलों की तैनाती पर विचार किया जाएगा। अदालत ने इस मामले में याचिकाकर्ता कौस्तव बागची को लापता व्यक्तियों के नाम महाधिवक्ता को उपलब्ध कराने को कहा ताकि प्रशासन उन्हें उनके घर वापस पहुंचा सके।
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(Udaipur Kiran) / ओम पराशर