
कोलकाता, 07 मई (Udaipur Kiran) । कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा राज्य संचालित स्कूलों के उच्च प्राथमिक वर्ग में सुपरन्यूमेरेरी (अतिरिक्त) पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति की योजना पर अंतरिम रोक लगा दी है। ये नियुक्तियां शारीरिक शिक्षा और कार्य शिक्षा जैसे विषयों के लिए होनी थीं, जिनके लिए राज्य सरकार ने प्रतीक्षा सूची में शामिल उम्मीदवारों की नियुक्ति के उद्देश्य से अतिरिक्त पद सृजित किए थे।
न्यायमूर्ति बिस्वजीत बसु की एकल पीठ ने बुधवार को लंबी सुनवाई के बाद यह अंतरिम आदेश पारित किया। यह मामला पहले से ही न्यायिक जांच के दायरे में था, क्योंकि राज्य सरकार द्वारा स्कूलों में की गई कई नियुक्तियों पर पहले भी अदालत ने सवाल उठाए हैं।
पिछले महीने, भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें 25 हजार 753 शिक्षकीय और गैर-शिक्षकीय पदों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था। ये नियुक्तियां पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग के माध्यम से की गई थीं। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च प्राथमिक खंड में सुपरन्यूमेरेरी पदों के सृजन पर कोई आपत्ति नहीं जताई थी।
इसके बाद, राज्य सरकार ने इन अतिरिक्त पदों पर नियुक्ति की अनुमति के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट का रुख किया। लेकिन अब कोर्ट ने इस प्रक्रिया पर 18 जून तक के लिए रोक लगा दी है, जब इस मामले की अगली सुनवाई होगी।
इस बीच, उच्च प्राथमिक खंड में नियुक्ति की प्रतीक्षा कर रहे कुछ उम्मीदवारों ने हाल ही में माकपा के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता बिकाश रंजन भट्टाचार्य के चैंबर के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि भट्टाचार्य की कानूनी दलीलों के चलते ही राज्य में कई स्कूल नियुक्तियां रद्द हुई हैं। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने न्यायमूर्ति बिस्वजीत बसु के खिलाफ भी आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं, जिन्होंने इससे जुड़े मामलों में कड़ी टिप्पणियां दी थीं।
घटना को गंभीरता से लेते हुए, कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम ने कोलकाता पुलिस आयुक्त मनोज कुमार वर्मा को प्रदर्शनकारियों की पहचान कर जांच करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए अवमानना का मामला भी दर्ज किया है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
