
कोलकाता, 13 जून (Udaipur Kiran) । कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक नशीले पदार्थ से जुड़े मामले में गिरफ्तार आरोपित को उसके संवैधानिक अधिकार के तहत कानूनी सहायता नहीं देने पर बेहद कड़ा रुख अपनाया है। इस प्रकरण में न्यायालय ने अलीपुरद्वार जिले के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और एनडीपीएस मामलों के जिला एवं सत्र न्यायाधीश को दोषी मानते हुए उनके खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति कृष्णा राव की एकल पीठ ने इस गंभीर लापरवाही को न्यायिक आचरण के खिलाफ बताते हुए कहा कि आरोपित को गिरफ्तारी के बाद उसके कानूनी अधिकारों से अवगत नहीं कराया गया, न ही उसके पक्ष में कोई अधिवक्ता नियुक्त किया गया, जो कि भारतीय संविधान और न्याय की बुनियादी अवधारणाओं का उल्लंघन है।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि एनडीपीएस अधिनियम, 1985 के तहत दर्ज मामलों में आरोपित के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना न्यायिक प्रक्रिया का आवश्यक हिस्सा है। लेकिन इस मामले में राज्य सरकार की ओर से आरोपित को उसकी गिरफ्तारी के कारणों और उसके कानूनी आधार की समुचित जानकारी भी नहीं दी गई, जो कि गंभीर चिंता का विषय है।
हाईकोर्ट ने इस पूरे घटनाक्रम को गंभीर प्रशासनिक और न्यायिक चूक बताते हुए रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया है कि वे इस मामले की संपूर्ण रिपोर्ट मुख्य न्यायाधीश को सौंपें। इसका उद्देश्य संबंधित न्यायिक अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही सुनिश्चित करना है, ताकि भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही की पुनरावृत्ति न हो।
(Udaipur Kiran) / अनिता राय
