शिमला, 21 दिसंबर (Udaipur Kiran) । नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) ने प्रदेश में राजस्व प्राप्तियों व सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) की बढ़ोतरी की दर में अंतर होने पर सवाल खड़े किए हैं। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन शनिवार को सदन में पेश कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि राजस्व प्राप्तियों व जीएसडीपी की बढ़ोतरी की दर में भारी अंतर को पाटने की जरूरत है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सत्र के अंतिम दिन शनिवार को कैग की वर्ष 2023 की रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत की।
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2018-19 में प्रदेश के राजस्व प्राप्तियों 148383 करोड़ रुपये के मुकाबले 2022-23 में बढ़कर 195405 करोड़ रुपये हो गई। कैग ने रिपोर्ट में कहा कि जीएसडीपी में बढ़ोतरी की दर 7.26 फीसदी रही, लेकिन इसी अवधि के दौरान राजस्व प्राप्तियों में महज 2.09 फीसदी की बढ़ोतरी आंकी गई।
कैग ने राजस्व प्राप्तियों की बढ़ोतरी की दर में और सुधार की जरूरत जताई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022-23 में राज्य में राजस्व प्राप्तियां 38089.50 करोड़ रुपये थी। इसमें केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के कर व गैर कर दोनों शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 38089.50 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्तियों के मुकाबले वर्ष 2022-23 में खर्चे 50565 करोड़ रुपये तक पहुंच गए। यह वित्त वर्ष 2021-22 के 42602 करोड़ रुपये से 18 फीसदी अधिक है।
कैग ने कहा कि राजस्व प्राप्तियों के मुकाबले राजस्व खर्चों में 22.74 फीसदी की दर से बढ़ोतरी होना चिंताजनक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदेश 2018 में 6336 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे में था। मगर वर्ष 2022-23 में 1115 करोड़ रुपये का राजस्व सरप्लस दिखाया जाना प्राप्तियों और खर्च के बीच असंतुलन की स्थिति को इंगित करता है।
कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के खर्चों में वेतन, पेंशन व ब्याज के साथ-साथ उपदान पर होने वाला खर्च, कुल राजस्व खर्च 64 से 70 फीसदी है। रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने वर्ष 2022-23 में बजट से 6029 करोड़ रुपये की रकम पूंजीगत मद पर खर्च की, जबकि उधार की राशि से सरकार ने 26.95 फीसदी रकम पूंजीगत मद पर खर्च की।
कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सरकार को राजस्व प्राप्तियों में इजाफा करने में गैर आवश्यक उपदानों में कमी लाने के साथ-साथ सतत आर्थिक विकास व राजकोषीय सेहत को बनाने के लिए प्रयास करने की जरूरत है। साथ ही कैग ने रोजमर्रा के खर्चों को पूरा करने के लिए कर्ज लेने से बचने की नसीहत भी सरकार को दी है।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
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