श्रीनगर, 22 नवंबर (Udaipur Kiran) । जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण के मुद्दे पर सभी हितधारकों के साथ बातचीत करने के लिए गठित मंत्रिमंडलीय उप-समिति समग्र दृष्टिकोण अपनाएगी ताकि सभी के साथ न्याय हो और किसी के अधिकार न छीने जाएं।
श्रीनगर में एक समारोह के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उप-समिति में तीन मंत्री शामिल होंगे और एक बार जब यह अपनी रिपोर्ट सौंप देगी तो इस मुद्दे पर निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि आरक्षण के बारे में बहुत कुछ कहा जा रहा है। हमारे युवा विशेष रूप से खुले वर्ग से संबंधित सोचते हैं कि उन्हें अपना अधिकार नहीं मिल रहा है लेकिन ऐसे लोग भी हैं जिन्हें आरक्षण के दायरे में लाया गया है और जो अपने अधिकारों में कोई कटौती नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए कैबिनेट ने एक उप-समिति बनाने का फैसला किया है जिसमें तीन मंत्री शामिल होंगे और कैबिनेट ने उनसे इस मुद्दे पर समग्र दृष्टिकोण अपनाने को कहा है।
हाल ही में जम्मू-कश्मीर विधानसभा द्वारा पारित विशेष दर्जे पर प्रस्ताव के बारे में एक सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रस्ताव को कहीं भी खारिज नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव पारित किया गया था और किसी ने इसे खारिज नहीं किया है। उमर ने कहा कि इसने एक दरवाजा खोल दिया है। हम देखेंगे कि भविष्य में क्या होता है।
प्रस्ताव पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे की टिप्पणी पर अब्दुल्ला ने कहा कि कांग्रेस पार्टी सरकार का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमें बाहर से समर्थन दे रही है, वह हमारी सरकार में शामिल नहीं हुई है। सरकार ने प्रस्ताव लाया और भाजपा को छोड़कर सभी (विधानसभा) सदस्यों ने इसे पारित कर दिया जिसमें कांग्रेस भी शामिल थी। अब यह स्पष्ट है कि भाजपा ने महाराष्ट्र और झारखंड चुनावों में कांग्रेस को निशाना बनाया। यह सबसे पहले उन लोगों को जवाब है जिन्होंने कहा था कि प्रस्ताव में कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर प्रस्ताव में कुछ भी नहीं था तो प्रधानमंत्री और गृह मंत्री नियमित रूप से प्रस्ताव क्यों उठाते रहे? उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि इसमें कुछ है।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के लिए प्रस्ताव को कमजोर करने की कोशिश करना मजबूरी है लेकिन उनके कहने से कुछ भी कमजोर नहीं हो सकता है क्योंकि जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने इसे भारी बहुमत से पारित किया है। सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस के चुनाव घोषणापत्र में किए गए वादे के अनुसार कैदियों की रिहाई के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा कि कैदियों को रिहा करने के लिए राज्य का दर्जा आवश्यक है क्योंकि अभी तक सुरक्षा, पुलिस और कानून व्यवस्था केंद्र सरकार के अधीन है और एलजी द्वारा इसकी देखभाल की जाती है। हालांकि मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भी उन्होंने पुलिस प्रशासन से बात की है तो उन्होंने कैदियों के मुद्दों पर पुनर्विचार करने को कहा है, खासकर सत्यापन के मुद्दे पर जिसके लिए लोगों को परेशान किया जाता है।
उन्होंने कहा कि जहां तक कैदियों की रिहाई का सवाल है हम पहले दिन से ही राज्य का दर्जा बहाल करने पर काम कर रहे हैं क्योंकि हम जानते हैं कि कुछ चीजें हैं जिन पर लोग कुछ प्रगति चाहते हैं जो यूटी में नहीं हो सकती। कश्मीर घाटी में बिजली कटौती पर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्होंने दिल्ली में केंद्रीय बिजली मंत्री से मुलाकात की और जम्मू-कश्मीर के लिए अतिरिक्त कोटा मंजूर किया गया है लेकिन हमें सर्दियों में कुछ कटौती के लिए तैयार रहना होगा।
उन्होंने कहा कि मैंने विभाग से कहा है कि जहां बिजली चोरी कम हो रही है और बिजली शुल्क का भुगतान किया जा रहा है, वहां बिजली कटौती और शेडिंग कम की जाए। मुझे उम्मीद है कि इस सर्दी में स्थिति में सुधार होगा। इससे पहले अब्दुल्ला ने वर्चुअल माध्यम से यहां एक हाई-टेक पुष्प नर्सरी विस्तार परियोजना और बाग-ए-गुले दाऊद (एक गुलदाउदी थीम उद्यान) की आधारशिला रखी।
(Udaipur Kiran) / बलवान सिंह