नई दिल्ली, 03 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बांग्ला (बंगाली) भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने को मंजूरी दे दी है।
शास्त्रीय भाषा के रूप में इन भाषाओं को शामिल करने से रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर पैदा होंगे। इसके अलावा, इन भाषाओं के प्राचीन ग्रंथों के संरक्षण, दस्तावेज़ीकरण और डिजिटलीकरण से संग्रह, अनुवाद, प्रकाशन और डिजिटल मीडिया में रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
भारत सरकार ने 12 अक्टूबर 2004 को शास्त्रीय भाषाओं के रूप में भाषाओं की एक नई श्रेणी बनाने का निर्णय लिया और तमिल को शास्त्रीय भाषा घोषित किया था। अब से पहले तक 6 भारतीय भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया था। तामिल को 10 दिसंबर 2004, संस्कृत को 25 नवंबर 2005, तेलुगू, कन्नड़ को 31 अक्टूबर 2008, मलयालम को 08 अगस्त 2013 और उड़िया को 3 जनवरी 2014 को शास्त्री वर्ज का दर्जा दिया गया था।
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(Udaipur Kiran) / अनूप शर्मा