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सी-डॉट और आईआईटी बॉम्बे ने ‘हाई-बैंडविड्थ 6जी वायरलेस लिंक के लिए ऑप्टिकल ट्रांसीवर चिपसेट’ के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए

डीओटी और आईआईटी बाम्बे के बीच 6जी अपलिंकिंग के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए

नई दिल्ली, 16 जनवरी (Udaipur Kiran) । अगली पीढ़ी की दूरसंचार प्रौद्योगिकी के लिए स्वदेशी हार्डवेयर विकसित करने की चल रही प्रक्रिया में, दूरसंचार विभाग (डीओटी), भारत सरकार के प्रमुख दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास केंद्र, सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (सी-डॉट) ने हाई-बैंडविड्थ 6जी वायरलेस लिंक के लिए ऑप्टिकल ट्रांसीवर चिपसेट के विकास के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे (आईआईटी बॉम्बे) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

यह समझौता दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीटीडीएफ) के तहत भारत सरकार के दूरसंचार विभाग से 6जी प्रस्ताव के लिए आह्वान के तहत हस्ताक्षरित किया गया है। यह प्रस्ताव 6जी पारिस्थितिकी तंत्र पर त्वरित शोध के लिए है, ताकि वहनीयता, स्थिरता और सर्वव्यापकता के आधार पर 2030 तक 6जी प्रौद्योगिकी के डिजाइन, विकास और परिनियोजन में अग्रणी भूमिका निभाई जा सके।

परियोजना का उद्देश्य उच्च बैंडविड्थ मुक्त-स्थान सुसंगत ऑप्टिकल लिंक के लिए चिपसेट विकसित करना है। ये लिंक ग्रामीण क्षेत्रों में अंतिम मील हाई-स्पीड स्थलीय कनेक्टिविटी सहित 6G अनुप्रयोगों के लिए हैं, और ऐसे इलाकों में जहां ऑप्टिकल फाइबर को लगाना या बिछाना एक चुनौती बन जाता है। इसका उद्देश्य उपग्रहों के माध्यम से दूरदराज के क्षेत्रों में निर्बाध उच्च बैंडविड्थ संचार लिंक प्रदान करने के लिए समाधान विकसित करना भी है।

समझौते पर एक समारोह के दौरान हस्ताक्षर किए गए, जिसमें सी-डॉट के सीईओ डॉ. राजकुमार उपाध्याय, आईआईटी बॉम्बे के प्रमुख अन्वेषक प्रो. शलभ गुप्ता और सी-डॉट के निदेशक डॉ. पंकज कुमार दलेला और सुश्री शिखा श्रीवास्तव शामिल थे।

कार्यक्रम में सी-डॉट के सीईओ डॉ. राजकुमार उपाध्याय ने हमारे विविध देश में संचार की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने में स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित प्रौद्योगिकियों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने माननीय प्रधान मंत्री के आत्मनिर्भर भारत और भारत 6G के दृष्टिकोण को पूरा करने की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

आईआईटी बॉम्बे के प्रधान अन्वेषक प्रोफेसर शलभ गुप्ता ने इस शोध पर सहयोग करने का अवसर देने के लिए दूरसंचार विभाग और सी-डॉट के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इससे दूरसंचार क्षेत्र में अत्याधुनिक अनुसंधान क्षमताओं और बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के प्रयासों को बल मिलेगा।

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(Udaipur Kiran) / दधिबल यादव

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