बेतिया, 23 नवंबर (Udaipur Kiran) । पश्चिम चंपारण ज़िला स्थित भागवत कथा में राधा किशोरी ने भगवान के शरण में जाने की बात कही।
भगवान भक्त वत्सल हैं। उनका नाम लेने से ही मनुष्य के सारे पाप धूल जाते हैं। मनुष्य को सांसारिक कार्यों से थोड़ा समय निकालकर प्रभु का नाम लेना चाहिए और उनकी शरण में जाना चाहिए। उक्त बातें श्रीमद् भागवत कथा के प्रवचन में वृंदावन से आईं कथावाचिका सुश्री राधा किशोरी ने धोबनी में आयोजनकर्ता प्रखंड प्रमुख शंभू तिवारी के परिसर में भागवत कथा में श्रोताओं को बताई।
सुश्री किशोरी ने कहा कि रत्नाकर पहले डाकू थे और डकैती के दौरान हत्या करना उनके लिए आम बात हो गई थी। तब नारद जी ने उन्हें उनसे कहा कि तुम अपनी पत्नी और संतान से पूछो कि क्या वे तुम्हारी चोरी और हत्या में भागीदार बनेंगे। जब रत्नाकर डाकू ने बताया कि वे साथ नहीं देने की बात कह रहे हैं तो नारद ने उनकी आँखें खोल दी और डाकू रत्नाकर रत्नाकर से महर्षि बाल्मीकि बनकर राम की कृपा से रामायण की रचना कर डाली और वे भगवान राम की भक्ति में लीन हो गए। इसी तरह से जब श्रीकृष्ण ने पांडवों को छोड़कर जब वापस लौट गए तो पांडवों ने द्रौपदी के साथ स्वर्ग जाते समय परीक्षित को राजा बना दिया। इधर राजा परीक्षित भी साधू संतों की बहुत सेवा करते थे और प्रजा का भी ख्याल रखते थे। एक बार वे राज्य का भ्रमण करने निकले तो देखा कि गाय और बैल रो रहे थे। एक काला विकराल व्यक्ति उनपर प्रहार कर रहा था, जहां वे उन्होंने विकराल व्यक्ति को रोका और कहा कि तुम यदि इन्हें कष्ट दोगे तो मैं तुम्हे दण्ड दूंगा।
सुश्री किशोरी ने गाय को धरती माता और बैल को धर्म भगवान बताया। वहीं उन्होंने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव कथा कही और झांकी के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
(Udaipur Kiran) / अमानुल हक