West Bengal

आर जी कर : तृणमूल विधायक ने पार्टी नेताओं से पीड़ित के माता-पिता पर हमले न करने की अपील की

तृणमूल कांग्रेस विधायक और पूर्व आईपीएस अधिकारी हुमायूं कबीर

कोलकाता, 29 जनवरी (Udaipur Kiran) । पश्चिम मेदिनीपुर जिले के डेबरा से तृणमूल कांग्रेस विधायक और पूर्व आईपीएस अधिकारी हुमायूं कबीर ने पार्टी नेताओं से अपील की है कि वे आर. जी. कर बलात्कार और हत्या मामले में पीड़ित लड़की के माता-पिता के खिलाफ बयानबाजी न करें।

बुधवार सुबह सोशल मीडिया पर पोस्ट कर हुमायूं कबीर ने अपनी ही पार्टी के नेताओं को अप्रत्यक्ष रूप से चेताया और कहा कि हर कोई उस दर्द को नहीं समझ सकता, जिसे अपने इकलौती बेटी को खो चुके माता-पिता सह रहे हैं। अगर आप उनके साथ खड़े नहीं हो सकते, तो कम से कम उनकी आलोचना करने से बचें।

उनकी यह टिप्पणी इसलिए अहम मानी जा रही है क्योंकि बीते कुछ दिनों से तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीड़ित लड़की के माता-पिता पर तीखा हमला कर रहे हैं। 27 जनवरी को माता-पिता ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वे संजय रॉय को मृत्युदंड दिए जाने के खिलाफ क्यों हैं। इसके बाद से तृणमूल नेताओं ने उन पर हमले तेज कर दिए थे।

तृणमूल कांग्रेस के चर्चित विधायक मदन मित्रा ने मंगलवार को इस मामले में सबसे विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने इशारों में कहा था कि पीड़ित के माता-पिता शायद मुआवजे की बड़ी रकम पाने की इच्छा से संजय रॉय को फांसी न देने की बात कर रहे हैं।

मदन मित्रा के इस बयान पर पीड़ित लड़की के पिता ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर मदन मित्रा हमारी बेटी को वापस ला सकते हैं, तो हम उन्हें पैसे देने को तैयार हैं।

हालांकि, हुमायूं कबीर ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में पीड़ित लड़की के माता-पिता से भी अपील की कि वे इस मामले पर राजनीतिक बयानबाजी से बचें।

इसके अलावा, उन्होंने यह भी दोहराया कि शुरुआत से ही उनका मानना था कि इस अपराध में केवल संजय रॉय ही दोषी था।

यह पहला मौका नहीं है जब हुमायूं कबीर ने अपनी ही पार्टी के नेताओं के बयानों पर आपत्ति जताई हो।

दिसंबर में भी उन्होंने राज्य के नगर विकास मंत्री और कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम के एक बयान का विरोध किया था। हकीम ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा था कि जल्द ही देश और राज्य में धार्मिक अल्पसंख्यक बहुसंख्यक बन जाएंगे।

इस पर हुमायूं कबीर ने राजेश खन्ना की फिल्म ‘आनंद’ का प्रसिद्ध संवाद उद्धृत करते हुए लिखा था, हकीम जी, ज़िंदगी लंबी नहीं, बड़ी होनी चाहिए। हमें संख्या नहीं, गुणवत्ता चाहिए। दो ऐसे बच्चे बेहतर हैं जो शिक्षक, डॉक्टर या पुलिस अधिकारी बनें।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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