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आवंटियों की सहमति के बिना बिल्डर नहीं कर सकता ले-आउट प्लान में बदलाव

कोर्ट

जयपुर, 13 जुलाई (Udaipur Kiran) । राजस्थान रियल एस्टेट अपीलीय प्राधिकरण ने एक प्रकरण में निर्णित किया कि बिल्डर की ओर से आवंटियों की सहमति के बिना निर्माण शुदा इमारत के ले-आउट प्लान में कोई भी परिवर्तन नहीं किया जा सकता। इसके अलावा संबंधित इमारत के ब्रॉशर में अंकित की गई सुख-सुविधा आवंटियों को मुहैया कराई जाएगी, फिर चाहे उन्हें आवंटियों से निष्पादित किए गए इकरारनामे में दर्शाया गया हो या नहीं। प्राधिकरण ने यह आदेश साउथ एक्स रेजीडेंस वेलफेयर सोसायटी की अपील पर दिए।

अपील में अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने बताया कि बिल्डर विर्गो बिल्ड स्टेट ने सांगानेर में साउथ एक्स के नाम से एक आवासीय टाउनशिप वर्ष 2014 में शुरू की। जिसमें बिल्डर ने विला, फ्लैट और ग्रुप हाउसिंग बनाने का वादा किया। वहीं प्रोजेक्ट में एक भव्य क्लब हाऊस बनाने का वादा कर आवंटियों से सुविधाओं के नाम पर लाखों रुपये लिये गये। प्रोजेक्ट को वर्ष 2017 तक पूरा किया जाना था, लेकिन बिल्डर ने सुविधाओं का निर्माण नहीं किया। इसके अलावा गत वर्ष प्रोजेक्ट में क्लब हाउस निर्माण के लिए निर्धारित की गई जमीन पर एक नई प्लॉटिंग स्कीम जेडीए से स्वीकृत कराकर रेरा में पंजीकृत करवा ली। जबकि ऐसा करने से पूर्व ना तो आवंटियों को सूचित किया गया और ना ही आवंटियों की सहमति ली गई।

प्राधिकरण ने अपील को स्वीकार करते हुए माना कि बिल्डर ने प्रोजेक्ट का निर्माण पूर्ण नहीं किया और ना ही कम्पलीशन सर्टिफिकेट व ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट प्राप्त किया गया। इसके अलावा बिल्डर ने आवंटियों की सहमति के बिना अपने स्तर पर ही प्रोजेक्ट के तय ले-आउट प्लान में बदलाव कर दिया। योजना पूरी हो जाने के बाद योजना के कॉमन एरिया पर आवंटियों वेलफेयर एसोसिएशन का अधिकार हो जाता है व बिल्डर को समस्त कॉमन एरिया आवंटियों की संस्था को सुपुर्द किया जाना होता है।

(Udaipur Kiran)

(Udaipur Kiran) / संदीप माथुर

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